सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर कर रोजगार सहायक ने निकाले लाखों रुपए

महिला सरपंच ने कलेक्टर को दिया शिकायती आवेदन

भिण्ड, 04 दिसम्बर। ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने वालों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती है। यही कारण है कि भ्रष्टाचार करने वालों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। भिण्ड जिले में लगभग सभी ग्राम पंचायतों में सरपंच सचिव और ग्राम रोजगार सहायकों ने विकास कार्यों के लिए आने वाली शासकीय राशि का दुरुपयोग कर हड़पने का जरिया बना लिया है। विकास कार्य के लिए आने वाला शासकीय धन को विभागीय अधिकारियों से सांठ-गांठ कर सरपंच सचिव और रोजगार सहायक मिल-जुलकर कागजों में विकास कार्य दर्शा कर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जब इसकी कोई शिकायत करता है तो सिर्फ नाम के लिए जांच आदेश निकालकर खानापूर्ति कर दी जाती है और जांच आदेश भी ले देकर दबा दिया जाता है।
अभी तक सरपंच सचिव द्वारा भ्रष्टाचार के मामले आते रहे हैं, लेकिन गोहद जनपद की ग्राम पंचायत कनीपुरा से एक नया मामला आया है, जहां की महिला सरपंच शीलाबाई ने प्रभारी रोजगार सहायक संतोष मौर्य पर फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए भुगतान कराए जाने का आरोप लगाते हुए जिला कलेक्टर को शिकायती आवेदन दिया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि रोजगार सहायक संतोष मौर्य की मूल पदस्थापना डीरमन पाली है, इन्हें नियम विरुद्ध तरीके से अधिकारियों में मोटी रकम लेकर संतोष मौर्य को कनीपुरा पंचायत का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, रोजगार सहायक संतोष मौर्य ने प्रभार ग्रहण करने से लेकर आज दिनांक तक करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। रोजगार सहायक द्वारा लाखों रुपए के फर्जी मस्टर रोल जारी कर फर्जी भुगतान कराया है, जिस पर उपयंत्री द्वारा न कोई मूल्यांकन किया न ही किसी के द्वारा सत्यापित है और न ही सरपंच के द्वारा सत्यापित है। इतना ही नहीं रोजगार सहायक संतोष मौर्य ने सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर कर बिना जानकारी के लाखों रुपए आहरण भी कर लिए हैं और मटेरियल के फर्जी बिलों को लगाकर भुगतान भी कराए गए हैं और भी लाखों के बिल भुगतान कराना चाहता है। शिकायती आवेदन पर कलेक्टर ने उक्त रोजगार सहायक की जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। अब देखना होगा कि क्या रोजगार सहायक संतोष मौर्य पर प्रशासन धोखा धड़ी की कार्रवाई करेगा या आवेदन धूल खाता रहेगा?