सावित्री बाई फुले ने महिलाओं के उत्थान के लिए अभियान चलाया : बादल सरोज

गोहद में मनाई गई माता सावित्री बाई फुले जयंती

भिण्ड, 04 दिसम्बर। जब महिलाएं चहार दिवारी के अंदर प्रताडि़त की जाती थीं, उन्हें पढऩे का अधिकार नहीं था, महिलाएं रूढि़वादिता, गैर बराबरी, पाखण्डवाद की शिकार थीं, कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए 19वी सदी की महान समाज सेविका माता सावित्री बाई फुले ने महिलाओं के उत्थान के लिए उस समय अभियान चलाया। यह बात अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने मंगलवार को गोहद चौराहे कबीर आश्रम पर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा माता सावित्रीबाई फुले की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। अध्यक्षता पूर्व पार्षद किसान नेता राजेन्द्र सिंह कुशवाह ने की। इस अवसर पर ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के ग्वालियर जिला अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त जिला जज रतन वर्मा, देवेन्द्र शर्मा, ओपी बाथम, नरेन्द्र सेंगर आदि मंचासीन थे। संचालन कबीर आश्रम निर्माण समिति अध्यक्ष लालाराम माहौर ने किया। कार्यक्रम से पूर्व मां सावित्री फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर अतिथियों ने दीप प्रज्वलित किया।
मुख्य अतिथि बादल सरोज ने कहा कि माता सावित्री बाई ने स्कूल खोलें, पुस्तकालयों की व्यवस्था की, शिक्षा का प्रसार किया और मौजूदा व्यवस्था स्कूल बंद कर निरक्षर बनाने में प्रयासरत है। उन्होंने रूढि़वादिता के अलावा नोटबंदी, जीएसटी पर विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि आज डिजिटल इंडिया, फोनपे व्यवस्था लागू हो रही है, निरक्षर कैसे इसका मुकाबला कर सकेंगे, शिक्षा भी महंगी है। उन्होंने मां सावित्री बाई फुले से प्रेरणा लेने का आह्वान किया और चुनौतियों से मुकाबला किए जाने की बात कही।

उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति की पहचान कर्म और योग्यता के आधार पर नहीं जाति के आधार पर होती है, उसकी पैदाइश के आधार पर होती है, शूद्र जाति से नहीं होते, आर्थिक आधार पर दबे कुचले लोगों को ही शूद्र कहा जाता है। जब गार्गी ने अपने पति को हरा दिया तब उनको उनके पति द्वारा ताकत के आधार पर चुप कराया, ऐसे गैर बराबरी वाले समाज में ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले ने लड़ाई शुरू की, यह संविधान ऐसे ही नहीं बना है, इसके पीछे न जाने कितने महापुरुषों के वलिदान दफन हैं, आजादी के इतने साल बाद भी शिक्षा को छलनी लगाकर यह बताने की कोशिश की जा रही है कि यहां पर पैसे वालों के ही बच्चे पढ़ेंगे। और तो और सार्वजनिक क्षेत्र को खत्म करके रिजर्वेशन को भी खत्म किया जा रहा है, इसके लिए शिक्षित हो संगठित हो और संघर्ष करो।
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के ग्वालियर जिला अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त जिला जज रतन वर्मा ने कहा कि मां सावित्री बाई फुले न सिर्फ समाज सेविका थीं, बल्कि महान कवियित्री, महान योद्धा और रूढि़वादिता, अंधविश्वास के खिलाफ लडऩे वाली देश की महान प्रेरणा स्त्रोत थीं, जब देश गुलाम था, महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं थे, तब सावित्री बाई ने हम लोगों को जागृत करने का काम किया, मैं सिर्फ यह बताना चाहता हूं कि किसी को गुलाम बनाना हो तो लोगों को जाति व धर्म के आधार पर उलझा दीजिए, समाज पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए गुलाम बन जाएगा, अगर आप पढ़ेंगे महापुरुषों को तभी आप न्याय पा सकते हैं, सोते हुए को कभी न्याय नहीं मिलता, जब तक आप अंधविश्वास और पाखण्ड वाद को नहीं भूलेंगे, तब तक आप शिक्षित नहीं हो सकते हैं। आज जो लोग संविधान की शपथ लेकर काम करते हैं, वही इस देश को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं, संप्रदाय धर्म के नाम पर बात कर एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर हिंसक बना रहे हैं और सोशल मीडिया को इस्तेमाल कर रहे हैं। अब देश संविधान से चलना चाहिए। आज मोबाइल के जरिए दूषित मानसिकता परोसी जा रही है, फेयर एण्ड लवली से तनु गोरा हो जाता है, लेकिन आज तक कोई गोरा नहीं हुआ। उसी तरह यह बताया जा रहा है कि इससे अच्छा और कोई नहीं है। यह और वह आपका दुश्मन है। सोशल मीडिया का जादू हमारे दिलों दिमाग में घुसाया जाता है, बातों से पेट नहीं भरेगा, रोजगार के लिए जागरूक होईए। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था मां सावित्री बाई फुले के विचारों के विपरीत कदम उठा रही है। शोषित वंचित महंगी न्याय व्यवस्था के चलते दर-दर भटक रहे हैं, विद्वान एवं महंगे वकीलों के अभाव में गरीबों को न्याय नहीं मिल रहा है। उन्होंने इस व्यवस्था को पलट कर बेहतरीन व्यवस्था के लिए मां सावित्री बाई फुले के विचारों को आत्मसात करने एवं संकल्प लेने की बात कही।
मां सावित्री बाई फुले की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रेम नारायण माहौर, राजेश शर्मा, सुषमा जाटव, बीपी सिंह गुर्जर, पुरुषोत्तम श्रीवास, वीरेन्द्र कुशवाहा, रामबाबू जाटव, कुसुम माहौर, एडवोकेट स्वप्निल शुक्ला, एडवोकेट शैलेश बोहरे, रामबाबू जाटव, रसीद खान ने भी संबोधित किया। अंत में आभार रामचित्र माहौर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर पूर्व नपा अध्यक्ष गुड्डीबाई माहौर, देवी जाट, राकेश माहौर, हरविलास माहौर, उदय सिंह श्रीवास, हरिशंकर माहौर, नंदकिशोर कुशवाह, मुन्नालाल कुशवाह, नारायण शर्मा, बदामी कुशवाह, सरोज श्रीवास, देवाराम कुशवाह सहित भारी संख्या में महिला एवं आम जनता उपस्थित रही।