राजनीति में धर्म होना चाहिए, मगर धर्म में राजनीति नहीं : प्रतीक सागर

नसिया जैन मन्दिर परिसर में हो रहे हैं मुनिश्री के प्रवचन

भिण्ड, 28 नवम्बर। ज्ञान न भी हो मगर ज्ञानियों का सम्मान करना तुम्हारे ज्ञान को प्रकट करने का कारण बनेगा। ज्ञान व्यापार का विषय नहीं है, ज्ञान हृदय के दरवाजे खोलने की मास्टर चाबी है। ज्ञानी वह नहीं होता जो अभिमान में जीता है, ज्ञानी वह है जो बड़ों को सम्मान, छोटों से प्यार और बराबर वालों के प्रति वात्सल्य का भाव रखता है। यह उद्गार मप्र शासन के राजकीय अतिथि श्री प्रतीक सागर महाराज ने नसिया जैन मन्दिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि श्रृद्धा जितनी गहरी होती है, उतना मन पवित्र होता है और जिनका मन पवित्र होता है भगवान स्वयं चलकर उनके दरवाजे पर पहुंच जाया करते हैं। राजा श्रेयांस के दरवाजे पर महामुनि ऋषभदेव पहुंचे, चंदनवाला के दरवाजे पर भगवान महावीर, शबरी के दरवाजे पर राम और भिण्ड वालों के दरवाजे पर मुनि प्रतीक सागर महाराज पहुंचेंगे। मन की गहराईयों से देखने पर हर गुरु में आपको अपने गुरु के दर्शन हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार होना जरूरी है, संस्कार विहीन शिक्षा पशु बनाती है, इंग्लिश वर्णमाला और हिन्दी वर्णमाला का प्रारंभ रसना इन्द्रिय से होता है। ए फॉर एप्पल और अ का अनार तथा समापन जेड फोर जेब्रा यानी दरियाई गधा। क्ष, त्र, ज्ञ और पूर्वी संस्कृति ज्ञानी बनाती है, पाश्चात्य संस्कृति जानवर बनाती है। व्यक्ति अपने बच्चों को ग से गणधर या गणेश नहीं पढ़ाना चाहता है, क्योंकि उसमें कट्टरबादिता आकर के बीच में खड़ी हो जाती है, मगर ग से गधा पढ़ाने के लिए तैयार है। यह हमारी छोटी सोच का छोटा सा नमूना है, क्योंकि प्यार की मोच और छोटी सोच आदमी को कभी आगे नहीं बढऩे देती है।
मुनिश्री ने आगे धर्म के ठेकेदारों को संकेत देते हुए कहा कि राजनीति में धर्म होना चाहिए मगर धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए। देश को खतरा गद्दारों से नहीं, पहरेदारों से है, धर्म को खतरा नास्तिकों से नहीं कथाकथित धर्म के ठेकेदारों से हैं जो सिर्फ धर्म की आड़ में अपना व्यापार चलाते हैं, संस्कृति और संस्कारों के साथ दोहरा चरित दोहराते हैं। समाज में बैठकर पानी छानकर पीते हैं मगर दूसरी तरफ एकांत मयखाने में शराब के घूंट गले में उतारते हैं। धर्मसभा के प्रारंभ में मंगलाचरण कर गणाचार्य पुष्पगदंत सागर महाराज के चित्र का अनावरण कर समाज के श्रेष्ठियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया।

रिद्धीसिद्धी दाता दीप अनुष्ठान आज

प्रवक्ता मनोज जैन ने बताया कि 29 नवंबर को सुबह 8.30 से 10.15 बजे तक नसिया प्रांगण में विराट जनसभा का आयोजन होगा एवं शाम के सत्र में जैनदर्शन महाकाव्य भक्ताम्बर सर्व रिद्धी-सिद्धी दाता 24 हजार 48 द्वीपों से दीप महोत्सव अनुष्ठान किया जाएगा। जिसमें 50 परिवारों को परिवार सहित बैठने का सौभाग्य प्राप्त होगा। परिवार की सुख शांति, समृद्धि के लिए यह विशिष्ट आयोजन मुनि प्रतीक सागर महाराज के सानिध्य में मंगलवार को शाम पांच बजे किया जाएगा।