सो का कै दई बात कका जू, बनी बिगर गई बात कका जू…

शाम ए सुखन काव्य गोष्ठी में कवियों व शायरों ने बांधा समां

भिण्ड, 13 सितम्बर। शहर के कृष्णा कॉलोनी स्थित शायर हसरत हयात के निवास पर स्व. अनीशा उर्दू शिक्षा प्रसार समिति के बेनर तले शाम ए सुखन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता शायर महावीर तन्हा ने एवं संचालन अंजुम मनोहर ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. इकबाल अली तथा बतौर मुख्य अतिथि डॉ. नदीम खान मौजूद रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। तदुपरांत उसको मंजिल पर पहुंचना है सफर से पहले, वो सफर के लिए निकले भी तो घर से पहले। इस गुनगुनाती हुई खूबसूरत गजल के शेर सुना कर उर्दू अदब के बेहतरीन शायर महावीर तन्हा ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। मुकेश शर्मा ने कविता सुनाते हुए कहा-मेरे घर के रास्ते में केवल दो व्यवधान रहे, लोग बहुत निर्मोही थे और हम तुम भी अनजान रहे। वहीं अपनी रचना के माध्यम से छंदकार चंद्रशेखर कटारे ने कहा- आओ हिम को गलाएं नदी सा बहें, प्राण में तुम रहो प्राण तुम में रहें। व्यंग्यकार प्रदीप वाजपेयी युवराज ने रचना सुनाई-सो का कै दई बात कका जू, बनी बिगर गई बात कका जू…। कवि महेन्द्र दीक्षित ने मुक्तकों के माध्यम से रचना पेश की-सूरज का आलोक हो या अंधियारी रात, अखियां सदा बटोरती ईश्वर की सौगात। वहीं गजल सुनाते शायर हसरत हयात ने कहा कि तुम हजारों हो फिर भी एक नहीं, एक मैं हूं हजार के जैसा, बज रहा हूं सितार के जैसा, वो तसव्वुर करार के जैसा। काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे कवि अंजुम मनोहर ने कहा-देखिए छोटी सी छोटी बात पर, आदमी आता उतर औकात पर, कोसना किस्मत को जिनकी नीयत है, उनको कैसे हो भरोसा हाथ पर। अंत में आए हुए शायर और कवियों का आयोजक ने आभार व्यक्त किया।