मुरावली में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में हुआ श्रीकृष्ण विवाह

भिण्ड, 14 जुलाई। लहार क्षेत्र के ग्राम मुरावली स्थित श्री नारसिंह धाम सरकार में चल रही संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के छटवे दिन पर कथा व्यास देवी संध्या जी ने कथा प्रसंग में रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। इस दौरान कृष्ण और रुक्मिणी की आकर्षक झांकी ने दर्शकों का मन मोह लिया। विवाह रस्म की जीवंत स्वरूप में करीब एक घण्टे तक समूचा कथा स्थल में वैवाहिक माहौल उत्पन्न हो गया। व्यास देवी संध्या जी ने जैसे ही विवाह प्रसंग का वर्णन आरंभ किया। पण्डाल में सजे-धजे युवा कृष्ण की बारात कथा स्थल पर पहुंची, जिसका श्रोताओं ने पुष्प वर्षा कर ढोल-नगाड़े के साथ स्वागत किया। रुक्मिणी व भगवान कृष्ण को पंडित के समीप मंच पर बैठाया गया। जहां मंत्रोच्चार के साथ विवाह की रस्म पूरी करते हुए रुक्मिणी और कृष्ण ने परस्पर एक दूसरे को वरमाला पहनाई। श्री नारसिंह सेवा समिति एवं यजमान के परिवार सदस्य द्वारा भक्ति भावना के साथ कन्यादान के रूप में यथा क्षमता भेंट अर्पित की। महिलाओं ने मंगलगीत गाये।
इस अवसर पर कथा वाचक देवी संध्या जी ने कहा कि रुक्मिणी भगवान की माया के समान थी। रुक्मणी ने मन ही मन यह निश्चय कर लिया था कि भगवान श्रीकृष्ण मेरे लिए योग्य पति हैं, लेकिन रुक्मिणी का भाई कृष्ण से द्वेष रखता था। इससे उसने उस विवाह को रोक कर शिशुपाल को रुक्मणी का पति बनाने का निश्चय किया। इससे रुक्मिणी को बहुत दु:ख हुआ। उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र को भगवान कृष्ण के पास भेजा। साथ ही अपने आने का प्रयोजन बताया। इसके बाद कृष्ण विदर्भ जा पहुंचे। उधर रुक्मणी का शिशुपाल के साथ विवाह की तैयारी हो रही थी, परंतु उनकी प्रार्थना का असर हुआ और कृष्ण का विवाह रुक्मिणी के साथ हुआ।