और महाकुम्भ ने भी आखिर ले ही लीं बलियां

– राकेश अचल


दुनिया में सनातन का झण्डा ऊंचा करने वाले प्रयागराज के महाकुम्भ ने आखिर अपनी कामयाबी की नई इबारत लिखते हुए दर्जनों सनातनियों की बलि ले ही ली। संयोग ये है कि ये बलि किसी आजम खान के होते हुए नहीं हुई। इनके लिए सीधे-सीधे तौर पर उत्तरप्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिम्मेदार हैं, लेकिन वे ये जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देंगे नहीं और न उनसे इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। आज प्रयागराज में कोई 10 करोड़ लोग जमा हैं।
महाकुम्भ 144 साल बाद का दुर्लभ योग बताया गया था। उत्तर प्रदेश और देश की सरकार ने इस महाकुम्भ की धार्मिकता को ताक पर रखकर इसे एक ‘मेगा ईवेंट’ में तब्दील कर दिया है। आम आदमी के लिए इस महाकुम्भ में कुछ भी नहीं है, सिवाय धक्के खाने के और भगदड़ में जान गंवाने के। ये महाकुम्भ विदेशी और देशी धनकुबेरों के लिए है। ये महाकुम्भ सत्ता प्रतिष्ठान के जलाभिषेक के लिए है। ये कुम्भ अब पतित पानी गंगा की गोद नहीं बल्कि एक हरम बनकर रह गया है। यहां भी वीआईपी संस्कृति का झंडा फहरा रहा है। इस कुम्भ पर खर्च किए गए 10 हजार करोड़ रुपए भी निर्दोषों को मरने से नहीं बचा पाए।
ये देश विज्ञान, ज्ञान, अनुसंधान और मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरु नहीं बनना चाहता। ये देश धर्म के क्षेत्र में विश्वगुरु बनना चाहता है, लेकिन बन नहीं पा रहा। यहां धर्म की ध्वजाएं फहराने वाले पक्के सनातनी, असंख्य नागाओं के गुरु सत्ता के स्तुतिगान में लगे हैं। उनके पास बदइंतजामों पर ऊंगली उठाने की फुर्सत ही नहीं है और नतीजा आपके सामने है। अभी तो महाकुम्भ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ में मरने वालों की संख्या बहुत कम (17) बताई गई है, लेकिन ये कहां तक जाएगी ये कोई नहीं जानता।
देश में धार्मिक उन्माद पैदा करने के लिए भाजपा की सरकारें एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं, ताकि देश को जल्द से जल्द हिन्दू राष्ट्र में तब्दील किया जा सके। इसी उन्माद के चलते मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में गंगा निर्दोष सनातनियों के खून से रक्ताभ हो गई। आपको बता दें कि सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। माघ माह में पडऩे वाली मौनी अमावस्या आत्मसंयम, मौन साधना और पवित्र स्नान के लिए समर्पित होती है। इस बार मौनी अमावस्या प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान इसी दिन तीसरा शाही स्नान होन था लेकिन हो गई भगदड़। मेले में मची भगदड़ के बाद निरंजनी अखाड़े ने स्नान जुलूस रोक दिया है। फिलहाल अखाड़ों ने अमृत स्नान स्थगित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हादसे की जानकारी ली है।
महाकुम्भ में पुण्य स्नान करने वालों के आंकड़े दिनोदिन बढ़ते ही जा रहे है। उत्तरप्रदेश सरकार इन आंकड़ों को दिखाकर गौरवान्वित अनुभव कर रही थी। मीडिया और भाजपा इस भव्य-दिव्य आयोजन के लिए योगी-मोदी की बलैयां ले रहा था, लेकिन अब सब मौन हैं। मौनी अमावस्या पर मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात हुई भगदड़ ने यहां के महाप्रबंध की पोल खोलकर रख दी है, लेकिन मजाल कि कोई अखाड़ा या अखाड़ा परिषद उप्र सरकार या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक शब्द बोले! सब मौनी बाबा बन गए हैं। अब यदि कोई बोलेगा तो उसे सनातन विरोधी करार दे दिया जाएगा।
देश में भगड़ की घटनाओं का लंबा इतिहास है, इन हादसों के लिए सरकारी मशीनरी और आम जनता ही जिम्मेदार होती है। उत्तर प्रदेश तो भगदड़ के लिए अब कुख्यात हो चला है। आपको याद होगा कि पिछले साल ही उत्तर प्रदेश के हाथरस में आयोजित सत्संग के दौरान मची भगदड़ में करीब 120 लोगों की मौत हो गई थी। महाराष्ट्र के मंधारदेवी मन्दिर में 2005 के दौरान हुई भगदड़ में 340 श्रद्धालुओं की मौत और 2008 में राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर हुई भगदड़ में कम से कम 250 लोगों की मौत ऐसी ही कुछ बड़ी घटनाएं हैं। हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भी 2008 में ही धार्मिक आयोजन के दौरान मची भगदड़ में 162 लोगों की जान चली गई थी। दो साल पहले 31 मार्च 2023 को इंदौर शहर के एक मंदिर में राम नवमी के अवसर पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी स्लैब ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन हम और हमारा देश इन हादसों से कभी कोई सबक नहीं लेता।
महाकुम्भ में आगामी 5 फरवरी को मोक्ष की कामना लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी डुबकी लगाने आने वाले हैं। वे अब यहां डुबकी लगाने आएंगे या मृतकों और घायलों के परिजनों को सांत्वना देने, ये पता नहीं है। लेकिन वे आएंगे जरूर। क्योंकि महाकुम्भ में डुबकी लगाए बिना कोई सनातनी कैसे कहलाएगा? लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महाकुम्भ में डुबकी नहीं ली, इसलिए वे सनातनी नहीं हैं। वे इस हादसे के बाद दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रचार छोडक़र प्रयागराज आएंगे या नहीं कोई नहीं जानता, लेकिन इस हादसे से दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जाना अब कठिन हो गया है और योगी जी के दिल्ली जाए बिना विधानसभा चुनाव में भाजपा का बेड़ा पार लग नहीं सकता।
फिलहाल मैं भगदड़ में मरे गए सनातनियों के परिजनों के प्रति संवेदना से भरा हुआ हूं। मुझे घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी करना है। मैं चाहूंगा कि मृतकों को ऊपर वाला सीधे मोच्छ प्रदान करे। मुझे न मोक्ष चाहिए और न अपने पाप गंगा में धोना हैं, इसलिए मैं दूर से ही गंगाजी को प्रणाम कर रहा हूं। आपसे भी निवेदन है कि अपने घर पर ही रहें और महाकुम्भ में अव्यवस्था की बेदी पर शहीद हुए लोगों की आत्मा की शानती के लिए प्रार्थना करें, मौन रहें।