लक्ष्मी मौसी के स्वागत का उत्साह

@ राकेश अचल


देश के पांच राज्यों में भले ही विधानसभा चुनाव का बुखार है, लेकिन इन पांच राज्यों के साथ पूरे देश में सरस्वती की बहन यानि हमारी लक्ष्मी मौसी के आगमन की उत्सुकता के साथ ही उनके स्वागत की तैयारियों की धूम है। इस धूम में तंगी, बीमारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगार जैसे ज्वलंत मुद्दों का कोई जिक्र नहीं है। किसी को आने वाले तीन दिनों तक इनकी फ़िक्र भी नहीं है। राजा हो रंक, सबके सब लक्ष्मी मौसी के स्वागत कोई तैयारी पूरे उत्साह से कर रहे हैं। महाराष्ट्र वालों ने तो वसु बारस मानकर पांच दिन पहले से ही इस त्यौहार का श्रीगणेश कर दिया है। बांकी लोग धनतेरस के साथ ये आगाज कर रहे हैं।
दीपावली सचमुच एक बड़ा प्रकाश पर्व है। इसकी वजह से भारत के घर-घर में स्वच्छता अभियान चलता है। इतना कूड़ा करकट घरों से निकलता है कि कभी-कभी तो कचरा ढोने और हटाने वाले स्थानीय निकाय भी हार मान जाते हैं। हमारे देश में वैसे भी कचरे की कोई कमी नहीं है। भारत में हर साल कितना कचरा निकलता है ये कोई नहीं जानता, लेकिन जो आंकड़े हैं वे कहते हैं कि भारत में सालान 277 अरब किलो कचरा निकलता है। यानि हर व्यक्ति कम से कम एक साल में 205 किलो कचरे का विसर्जन करता है। इस कचरे में 34 लाख टन कचरा अकेले प्लास्टिक का होता है और इसमें से भी कुल 30 फीसदी कचरा ही रीसाइकल हो पाता है।
मजे की बात ये है कि इस कचरे के बाद भी भारत में हर साल लक्ष्मी मैया भी आती हैं। उनके आगमन पर देश में घर-घर रोशनी की जाती है। लिपाई-पुताई होती है। सब कुछ नया-नया करने के प्रयास होते हैं। लक्ष्मी मैया की कृपा से भारत की इकॉनमी यानि अर्थव्यवस्था भले ही अभी तक पांच ट्रिलियन की न बन पाई हो, लेकिन हमारी कोशिश जारी है। देश में पहली बार धनतेरस की तर्ज पर किताबें छापने और बेचने वाले ‘किताब तेरस’ का आयोजन कर रहे हैं। दअरसल भारत में धन तेरस पर कुछ न कुछ खरीदने की रीत है। जिसे जिस चीज की जरूरत होती है वो चीज खरीदता है। आदमी को खरीदना तो चांद-तारे भी है, लेकिन उसकी जेब उसे ऐसा करने की इजाजत नहीं देती।
हमने बचपन में देखा है कि हमारे घर में धनतेरस के दिन धातु का कोई न कोई बर्तन खरीदा जाता था। सबसे सस्ती चीज होती थी कटोरी, ग्लास, चमचा या पूजा के लिए तांम्बे के छोटे-छोटे बर्तन। आज-कल धनतेरस पर बर्तनों के साथ ही और दूसरी तमाम चीजें खरीदी जाती हैं। जिनके पास लक्ष्मी मां की कृपा है वे बर्तनों के बजाय सोना-चांदी से भी महंगा डायमंड यानि हीरे से बनी चीजें खरीदते हैं। अब धनतेरस पर इलेक्ट्रानिक उपकरण, रसोईघर में इस्तेमाल होने वाले मंहगे उपकर। साड़ियां, कपडे, सजावट का सामान प्रमुखता और प्रचुरता से खरीदा जाता है। लेकिन मैं देखता हूं कि चीनी सामान की उपलब्धता के बावजूद आज भी मिट्टी के दिए, शक़्कर के बताशे और रंगीन खिलोने तथा चावल के पॉपकार्न यानि खीलें, कपास, लक्ष्मी जी का पन्ना आज भी बिक रहा है। इस त्यौहार के मौके पर पुलिस और स्थानीय प्रशासन मिल-जुलकर अपने गांव, शहर में फुटपाथ और सड़कें तक बेच देते हैं, ताकि गरीब आदमी भी अपना कारोबार कर कमा-खा सके।
हमारी देश में खरीद-फरोख्त के लिए ज्योतिषी और पंडित बाकायदा मुहूर्त निकालते हैं। वे ये भी बताते हैं कि किस राशि के जातक को धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं? मुझे लगता है कि ज्योतिषियों की भी बाजार से सांठ-गांठ है, अन्यथा ये ज्योतिषी और उनके पंचांग दीपोत्सव पर पुष्य नक्षत्र की खोज न करते और कर भी लेते तो उस दिन महंगा सामान खरीदने की सिफारिश बिल्कुल न करते। लेकिन ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है। अखबार ज्योतिषियों के खरीद-फरोख्त मुहूर्तों का प्रचार करने के लिए भौंपू बने हुए हैं। भारत के इस प्रमुख त्यौहारी सीजन में किसी की सेहत सुधरे या न सुधरे लेकिन हमारे अखबारों की सेहत और सूरत दोनों बदल जाती है। आज-कल एक ही दिन में तीन-तीन अखबार आ रहे हैं। इनकी कीमत भी ग्राहकों से वसूल की जाती है और इन अख़बारों में आधे से ज्यादा पन्नों में केवल कुछ ज्वेलरों, बिल्डरों के विज्ञापन होते हैं।
इस असल ज्योतिषयों ने सुझाव दिया है कि धनतेरस पर खरीदी करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर आपके द्वारा की जाने वाली खरीददारी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषी कहते हैं कि धनतेरस पर आपको नुकीली और धारदार वस्तुएं जैसे सूजी, पिन और धारदार जैसे कैंची, चाकू, छिलनी इत्यादि नहीं खरीदना चाहिए| मान्यता है इससे घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, धनतेरस के दिन कांच से बनी वस्तुओं को नहीं खरीदना चाहिए, कांच में राहु का स्थान यानी राहु से संबंधित है, इसलिए इसकी खरीदी शुभ नहीं होती|
अब सवाल ये है कि जनता देवताओं की फ़िक्र करे या अपनी जरूरतों की? ज्योतिषी कहते हैं कि धनतेरस में लोहे की खरीदी करने से धन के देवता कुबेर रुष्ट हो जाते हैं, इसलिए लोहे से निर्मित वस्तुओं की खरीदी से परहेज़ करना चाहिए। वे कहते हैं कि धनतेरस को प्लास्टिक की वस्तुओं की खरीददारी से बचें, इस दिन किसी धातु की खरीदी ही करें, अन्यथा धनतेरस की खरीददारी का कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा| ज्योतिषियों का सुझाव है कि धनतेरस के एक दिन पहले ही तेल या घी खरीद लें, क्यों की धनतेरस को तेल और घी की खरीदी को अशुभ माना गया है|
लगता है ज्योतिषी अपना पंचांग जनता कि लिए नहीं बल्कि व्यापारियों कि लिए बनाते हैं। वे कहते हैं कि धनतेरस को सोना, चांदी के आभूषण, सिक्के खरीदने चाहिए, भूल कर भी आर्टिफिशियल आभूषण नहीं खरीदें, यह अशुभ होता है| पंडित जी धनतेरस पर आपको कांस्य, पीतल, तांबा, चांदी आदि के बर्तन खरीदने की सलाह देते हैं, साथ ही चेतावनी भी देते हैं कि आप स्टील के बर्तन खरीदी से बचें और एल्युमुनियम, लोहे से निर्मित बर्तन भूल कर नहीं ले। पंडितों का मशिवरा होता है कि बाजार से बर्तन खरीददारी के बाद घर के अंदर खाली बर्तन नहीं लाएं, उसमें अंदर कुछ भर के लाएं, जैसे अनाज या कोई अन्य खाद्य वस्तु। मेरा चूंकि खरीद-फरोख्त करते समय ज्योतिषियों से अधिक विश्वास अपनी जेब पर होता है इसलिए मैं अपनी जेब की सुनता हूं, पंडित की नहीं। आपकी आप जाने। मेरी ओर से आप सभी को धनतेरस की शुभकामनाएं।

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