विवादों का नामकरण संस्कार

– राकेश अचल


प्रतिदिन लिखने के लिए आपको नया विषय चाहिए। ऊपर वाले की कृपा है कि मुझे आजतक विषय को लेकर कभी कोई फिक्र नहीं हुई, क्योंकि हमारी सियासत विषयों की जननी है। जैसे आवश्यकता को आविष्कार की जननी माना जाता है, वैसे ही मैं भारतीय सियासत को विवादों की जननी मानता हूं। यही विवाद बाद में सियासी मुद्दे बन जाते हैं जो असली मुद्दों को पीछे धकेल देते हैं। ताजा विवाद चंद्रयान-3 के अवतरण स्थल के नामकरण को लेकर है। प्रधानमंत्री जी ने इस स्थल का नाम ‘शिवशक्ति स्थल’ रख दिया है। कांग्रेस समेत तमाम राजनितिक दलों को प्रधानमंत्री जी के इस कृत्य से आपत्ति है, घोर आपत्ति।
हमारे यहां नामकरण संस्कार षोडश संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। चूंकि हम एक संस्कारवान देश हैं, इसलिए ये हमारा परम धर्म है कि हम चंद्रयान-3 के चन्द्रमा पर उतरने वाले स्थल का नामकरण करते। प्रधानमंत्री जी ने स्वदेश वापस लौटते ही ये पुण्य कार्य कर दिया तो कांग्रेस और दूसरे दलों कि भोहें तनी हुई हैं। ये बात ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री के हर कदम का विरोध करना कौन सी राजनीति है भला? प्रधानमंत्री को क्या इतना भी अधिकार नहीं कि वे एक छोटा सा भी फैसला खुद कर सकें? क्या जरूरी है कि हर फैसले से पहले वे अपने मंत्रिमण्डल की बैठक बुलाएं? नामकरण संस्कार कोई ऐसा मुद्दा भी नहीं है कि जिसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए या संसद का विशेष सत्र आहूत किया जाए?
शिया मौलाना सैफ अब्बास नकवी चंद्रयान-3 के लैंडिंग प्वाइंट को ‘शिवशक्ति स्थल’ नाम देने पर सवाल उठाएं तो बात समझ में आती है। नकवी साहब विधर्मी हैं, जबकि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। यहां जो भी काम होगा वो हिन्दू मान्यताओं के अनुसार होगा। नकवी साहब को लगता है कि ये हमारे मुल्क के वैज्ञानिकों की कामयाबी है, होगी लेकिन हमारा मानना है कि ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कामयाबी है। उनकी सरकार की कामयाबी है। इसलिए उन्हें नामकरण करने का पूरा अधिकार है। ये सरकार कोई नकवी साहब ने तो बनाई नहीं है आखिर! नकवी और अल्वी बोले तो समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान बर्क पीछे कैसे रहते? बर्क साहब ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्पॉट का नाम ‘शिवशक्ति’ रखने पर सवाल खड किए। उन्होंने कहा कि इस स्पॉट का नामकरण देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर करना चाहिए। बर्क ने कहा- ‘यह हर चीज का साम्प्रदायिकीकरण (कम्युनलाइज) क्यों करते हैं’? बर्क की ही तरह स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी दबी जुबान से शिवशक्ति नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसकी जगह इस जगह का दूसरा नाम होना चाहिए था। इस जगह का नाम किसी वैज्ञानिक के नाम पर होना चाहिए था, जिससे युवाओं की इसमें रुचि बढ़ती।
मोदी जी दूरदृष्टा और पक्के इरादों वाले नेता हैं, ठीक श्रीमती इन्दिरा गांधी की ही तरह। उन्होंने केवल नामकरण संस्कार ही नहीं किया अपितु 23 अगस्त को ‘नेशनल स्पेस डे’ के तौर पर मनाने की घोषणा की है। नामकरण करना, नाम बदलना और घोषणाएं करना हमारी सरकार और प्रधानमंत्री जी के बाएं हाथ का काम है, बाएं हाथ का काम यानी बेहद आसान काम। आप इसे वामपंथी काम भी कह सकते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को इन कामों में विशेषज्ञता हांसिल है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। नकवी तो ठीक कांग्रेस को भी चंद्रयान-3 के उतरने वाले स्थल के नामकरण पर आपत्ति है, क्यों है? नकवी भूल गए कि पिछले नौ साल में देश में कितने शहरों, रेलवे स्टेशनों के नाम बदले जा चुके हैं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैसे ही चंद्रयान-3 के लैंडिंग प्वाइंट का नाम ‘शिवशक्ति स्थल’ रखने का ऐलान किया तो कांग्रेस नेता राशिद अल्वी भडक गए। उन्होंने कहा कि मोदी ने लैंडिंग प्वाइंट का नाम ‘शिवशक्ति’ कैसे रख दिया? हम चांद के मालिक नहीं हैं। अल्वी साहब को पता नहीं है कि मोदी जी युगावतार हैं। वे सबके मालिक हैं। चन्द्रमा के भी, सूरज के भी और धरती के भी। अल्वी जी को यकीन न होती वे हमारे सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से ही पूछ लीजिये, उन्होंने ही मोदी जी को भगवान का अवतार कहा था। अब आप मोदी जी से चन्द्रमा की मिल्कियत के कागज भी मांगेंगे! कांग्रेस की तो आदत ही खराब है। कभी प्रधानमंत्री से उनकी शैक्षणिक उपाधियों के प्रमाण मांगती है, तो कभी पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक के प्रमाण। कांग्रेसी शायद नहीं जानते कि कुछ चीजों के प्रमाण नहीं होते, वे स्व-प्रमाणित होती हैं।
राशिद अल्वी ने कहा, नरेन्द्र मोदी को यह अधिकार किसने दिया कि वो चंद्रमा की सतह का नाम रखें? यह हास्यासपद है। इस नामकरण के बाद पूरा विश्व हम पर हंसेगा। चंद्रमा के उस जगह पर लैंडिंग हुई है यह बहुत अच्छी बात है और इस पर हमें गर्व है, जिस पर किसी को शक नहीं होना चाहिए। लेकिन हम चंद्रमा के मालिक नहीं हैं, उस लैंडिंग प्वाइंट के मालिक नहीं हैं। ऐसा करना भाजपा की आदत रही है। जब से वो सत्ता में आए हैं नाम बदलना उनकी आदत रही है। मुमकिन है कि राशिद मियां का कहना सही हो, लेकिन हम सही-गलत के फेर में क्यों पडं? जब हमारे प्रधानमंत्री जी ने घोषणा कर दी तो हमें उसका स्वागत करना चाहिए। दुनिया हंसती है तो हंसती रहे। हमारे ऊपर इससे क्या फर्क पडने वाला है? दुनिया का काम हंसना है सो हंसे, हम तो अपना काम कर रहे हैं। हम ‘हंसी प्रूफ’ मुल्क हैं।
कांग्रेस के अल्वी और शिया मौलाना नकवी को शायद नहीं पता कि इस देश में एक संविधान है। देश इसी संविधान के तहत चलता है। संविधान ने सभी नागरिकों को आजादी दी है कि वो अपने मन की करें। अब कांग्रेस के राहुल गांधी ‘भारत जोडो यात्रा’ निकालकर अपने मन की कर रहे हैं कि नहीं? उन्हें किसी ने रोका? किसी ने राहुल से पूछा कि भारत को जोडने की जरूरत क्यों है? भारत में जैसे नेताओं को मनमर्जी करने का सांवैधानिक अधिकार है, वैसे ही जनता को भी अपने मन की सरकार चुनने का अधिकार है। जनता ने ही मोदी जी की पार्टी को सरकार बनाने के लिए चुना है। जनता ने ही मोदी जी को वे तमाम अधिकार दिए हैं जो अघोषित हैं। इसलिए मोदी जी के फैसले पर किसी को उदरशूल नहीं होना चाहिए। यदि किसी को कोई तकलीफ है तो उसके लिए वो खुद जिम्मेदार है, न कि मोदी जी।
अलवियों और नकवियों को फक्र होना चाहिए कि हमारा चंद्रयान-3 ठीक उसी तरह चन्द्रमा पर ‘मूनवॉक’ कर रहा है जैसे धरती पर फैशन शो में ललनाएं और मप्र में चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ‘कैटवॉक’ करते हैं। शिवशक्ति स्थल को भी हमें उसी तरह मान्यता देना होगी जैसे कि हमने दिल्ली में ‘शक्ति स्थल’ को दी है। अब क्या अल्वी और नकवी साहब बता सकते हैं कि जब ‘शक्ति स्थल’ का नामकरण किया गया था तब क्या किसी से पूछा गया था? कोई सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी? संसद का विशेष सत्र आहूत किया गया था? शायद नहीं। इसीलिए मोदी जी ने जो किया उसे खुले दिल से तस्लीम कीजिए। यही राष्ट्रभक्ति है। मोदी जी और राष्ट्र में कोई भेद नहीं है, जैसे कि ‘इन्दिरा इज इंडिया’ में एक जमाने में कोई भेद नहीं था।
अल्वी और नकवी को पता होना चाहिए कि मोदी जी हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि भावी प्रधानमंत्री भी हैं। इसकी घोषणा वे खुद कर चुके हैं। ये अदभुत घोषणा करने का मौका और अधिकार इस बार उन्होंने आरएसएस और भाजपा तक को नहीं दिया। अर्थात अब भाजपा और आरएसएस भी मोदी जी में ही निहित है। इसलिए उनके हर फैसले का देश को सिर झुकाकर सम्मान करना चाहिए, न कि सवाल उठाना चाहिए। मोदी जी को स्वत्रंतता है कि वे चंद्रयान-3 की कामयाबी को कभी भी चुनावी मुद्दा बनाकर देशाटन करें। कांग्रेस के पास तो अब कोई मुद्दा है नहीं। कांग्रेस चाहे तो मोदी जी से मुद्दे उधार ले सकती है। मोदी जी बेहद उदार आदमी हैं, कांग्रेस को कोई भी मुद्दा उधार दे सकते हैं। सियासत में ये ‘उदारवाद’ युगों से चला आ रहा है।