टीआई बोले- क्या करोगे एफआईआर कराकर
भिण्ड, 14 मई। दबोह नगर में मंगलवार 10 मई को गल्ला व्यापारी का रुपयों से भरा बैग लेकर चोर रफूचक्कर हो गए। पांच दिन बीत जाने के बाद आज दिनांक तक दबोह पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर सकी है।
जानकारी के अनुसार कोंच रोड स्तिथ गल्ला व्यापारी शिवकुमार गुप्ता का पुत्र आशु गुप्ता उम्र 24 वर्ष निवासी वार्ड क्र.नौ दबोह हर रोज की तरह रुपयों का बैग लेकर अपनी दुकान पर आता था। परंतु मंगलवार को उसके साथ यह हादसा हो गया। फरियादी आशु ने बताया कि वह रोज की तरह उसने सुबह लगभग आठ बजे अपनी दुकान खोली और रोज की तरह शटर खोल कर बैग तखत पर रख दिया और झाडू लगाना शुरू की। जब वह दुकान पर आया तो पहले से ही दुकान के बाहर साइड से एक लड़का बैठा हुआ था। फरियादी जैसे ही झाडू उसके बाद कचड़ा फैंकने के लिए आगे बढ़ा तो इतने में बाहर बाइक से खड़ा संदिग्ध व्यक्ति फरियादी से बात करने लगा और इतने में बाहर बैठा युवक रुपए से भरा बैग लेकर रफूचक्कर हो गया। जिसके बाद उस युवक के साथ बाइक चालक भी फरार हो गया। फरियादी के अनुसार उसके बैग में दुकान के जरूरी कागजात (वही खाता) व एक लाख 50 हजार रुपए की नगदी थी। घटना होने के बाद बाजार में चारंो तरफ अफरा-तफरी का माहौल मच गया। तब जाकर फरियारी ने थाना दबोह पहुंचकर मंगलवार को अपना आवेदन प्रस्तुत किया, तो दबोह पूर्व थाना प्रभारी प्रमोद साहू द्वारा फरियादी को कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला और न ही दिए गए आवेदन की प्राप्ति मिली। तदुपरांत कुछ समय बाद मौके का मुआयना करने थाना दबोह पुलिस पहुंची, परंतु पुलिस वहां भी औपचारिकता करती नजर आई, उसके बाद से आज तक पुलिस द्वारा कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाया गया।
फरियादी कहना है कि जब दूसरे दिन थाने पर एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो थाना प्रभारी का जवाब था कि क्या कर लोगे एफआईआर कराकर, कुछ नही होगा एफआईआर से। पीडि़त फरियादी से थाना प्रभारी प्रमोद साहू के इस तरह के रवैये का होना एक अलग ही दिशा दर्शाता है। क्योंकि थानों के स्थापित करना मतलब लोगों की समस्याएं सुनना और उन पर कार्रवाई करना है। देशभक्ति जनसेवा का नारा देने वाली पुलिस ही जब ऐसे बर्ताव करने लगे तो फिर फरियादी पूरी तरह से टूट जाता है। यहां बताना मुनासिब होगा कि बीते रोज जारी हुई तबादला सूची में दबोह थाना प्रभारी रहे प्रमोद साहू का तबादला फूफ कर दिया गया है और अब दबोह थाने की कमान राजकुमार शर्मा को मिली है, अब फरियादी को नए थाना निरीक्षक से न्याय की आस है एवं फरियादी ने वरिष्ठ अधिकारियों से एफआईआर दर्ज कराकर बारदात की छानबीन कराने की गुहार लगाई है। अब देखना यह है कि क्या पांच दिन होने के बाद फरियादी की एफआईआर आज भी दर्ज हो पाती है या फिर पीडि़त ऐसे ही थाने के चक्कर लगाता रहेगा?