जिले में हुए नेशनल लोक अदालत में एक करोड़ 76 लाख 91 हजार 283 रुपए का अवार्ड पारित

जिला मुख्यालय भिण्ड एवं तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार में लंबित 514 प्रकरणों का हुआ निराकरण, 1147 पक्षकार हुए लाभान्वित

भिण्ड, 14 मई। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार शनिवार को नेशनल लोक अदालत का प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड अक्षय कुमार द्विवेदी के निर्देशानुसार एवं जिला न्यायाधीश/ सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड सुनील दण्डौतिया के मार्गदर्शन में आयोजन किया गया।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अक्षय कुमार द्विवेदी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्जवलित कर नेशनल लोक अदालत का औपचारिक शुभारंभ एडीआर भवन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला न्यायालय परिसर भिण्ड में किया। नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ के अवसर पर विशेष न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार मिश्र, जिला न्यायाधीश/ सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड सुनील दण्डौतिया, जिला न्यायालय के समस्त न्यायिक अधिकारीगण, जिला विधिक सहायता अधिकारी भिण्ड सौरभ कुमार दुबे, अभिभाषक भिण्ड के उपाध्यक्ष हनुमंत शर्मा एवं अभिभाषकगण, विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, न्यायालय कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।


नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु जिला मुख्यालय भिण्ड एवं न्यायिक तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार हेतु कुल 32 न्यायिक खण्डपीठों का गठन किया गया। जिसमें से जिला मुख्यालय भिण्ड एवं तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार में लंबित कुल न्यायालयीन प्रकरण संख्या 514 प्रकरणों का निराकरण किया गया जिसमें कुल 1147 पक्षकार लाभान्वित हुए तथा राशि एक करोड़ 76 लाख 91 हजार 283 रुपए का अवार्ड पारित किया गया। उक्त प्रकरणों के अतिरिक्त प्रीलिटिगेशन जिनमें जलकर संपत्तिकर, विद्युत, बीएसएनएल, बैंक आदि के कुल प्रीलिटिगेशन प्रकरण 803 का निराकरण किया गया, जिसमें 1013 व्यक्तियों को लाभांवित कर उक्त प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में कुल 57 लाख 10 हजार 358 रुपए राशि वसूल की गई।
नेशनल लोक अदालत में कुटुंब न्यायालय भिण्ड प्रधान न्यायाधीश लखन लाल गर्ग ने वैवाहिक में आवेदिका श्रीमती कल्पना पत्नी मानसिंह ने अनावेदक/ पति मानसिंह पुत्र रामअवतार निवासी ग्राम हंसपुरा, तहसील मेहगांव के साथ रहकर दांपत्य जीवन का निर्वहन करने के लिए इस न्यायालय के समक्ष 21 अप्रैल 2022 को प्रकरण धारा 09 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गतं प्रस्तुत किया था। उक्त प्रकरण में उभयपक्ष के मध्य न्यायालय द्वारा दी गई समझाइश एवं अधिवक्ताओं के सहयोग से राजीनामा हो गया है तथा उभयपक्ष एक साथ रहकर दांपत्य जीवन का निर्वहन करने के लिए सहमत हुए। साथ ही न्यायाशीश द्वारा और तीन मामलों में भी सुलह समझौता कराकर दांपत्य जीवन खुशी से जीने की सलाह दी गई।