समयसार विद्यानिकेतन के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों का हुआ दीक्षांत समारोह

जैन धर्म के महान तपस्वी श्रीमद् राजचन्द्र जी के जीवन पर आधारित मूवी 1300 लोगों ने देखी

ग्वालियर, 03 मई। सत्य अहिंसा करुणा दया शील, संयम पूर्वक जीवन यापन करने वाले जैन धर्म के महान तपस्वी श्रीमद् राजचन्द्रजी (एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व) मूवी का प्रदर्शन मंगलवार को डीडी मॉल के फन सिनेमा में चार स्क्रीनों पर 11:30 से स्क्रीन नंबर दो में भव्य प्रदर्शन श्री कुंदकुंद कहान पारमार्थिक ट्रस्ट मुंबई द्वारा श्री समयसार विद्यानिकेतन, आत्मायतन ग्वालियर के तत्वावधान में किया गया। जिसमें लगभग 1300 लोगों ने नि:शुल्क मूवी देखने लाभ लिया। साथ ही श्री समयसार विद्या निकेतन, आत्मायतन ग्वालियर के अंतिम वर्ष के विधार्थियों का दीक्षांत समारोह भी आयोजित किया गया।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि तपस्वी श्रीमद् राजचन्द्रजी मूवी का शुभारंभ मुख्य अतिथि देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर (रामू भैय्या) युवा नेता थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पारस जैन (अध्यक्ष-सकल जैन महापंचायत ग्वालियर) एवं विनय जैन (प्रदेश उपाध्यक्ष भाजयुमो) ने किया। वहीं अतिथियों द्वारा आराधना व प्रभावना में सक्रिय भूमिका लिए विद्वान पं. अजित जी अचल फालका बाजार को प्रशस्ति देकर सम्मानित किया गया। सभी अतिथियों को तिलक, अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, व पगड़ी, शाल, उढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक मण्डल नरेन्द्र जैन, सुनील शास्त्री, मनोज जैन, श्रीमती मंजू जैन, रवि जैन वीर, सिंघई संभव जैन, अमित जैन, संयम शास्त्री, सुधीर जैन (लालू), विमल विजयवर्गीय, संजीव जैन (टिंकू) का स्वागत अतिथियों द्वारा किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन, निर्देशन समयसार विद्यानिकेतन के निर्देशक पं. शुद्धात्म जैन शास्त्री ने किया।

दीक्षांत समारोह में अतिथियों ने बच्चों स्मृति चिन्ह देकर किया सम्मानित

मूवी से पहले श्री समयसार विद्या निकेतन आत्मायतन-ग्वालियर में अध्ययनरत अंतिम वर्ष के छात्रों का दीक्षांत समारोह में मुख्य आतिथियों ने छात्रों को प्रशस्ति देकर सम्मानित किया गया। आत्मायत्न-ग्वालियर बच्चों को लोकिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक संस्कारों से अवगत कराया जाता है। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठजन महाधिवक्ता आरडी जैन, घासीलाल जैन, मुकेश (जैना ज्वेलर्स), मनोज जैन, सतीश जैन ठेकेदार, पं. सुनील शास्त्री, पं. धनेन्द्र शास्त्री, डॉ. विवेक जैन, नरेन्द्र जैन के अलावार विद्वान वर्ग, श्रेष्ठ एवं वरिष्ठजन उपस्थित रहे।

ये है श्रीमद् राजचंद्र की मूवी की कहानी

रायचंद भाई का जन्म 1867 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ववाणिया नामक कस्बे में हुआ था। यह कस्बा सौराष्ट्र का एक छोटा-सा बंदरगाह है। उनके पिता का नाम रवजीभाई पंचाणभाई मेहता और माता का देवबाई था। रवजीभाई वैष्णव थे और देवबाई जैन। उनका बचपन का नाम रायचंद था, पर बड़े होकर श्रीमद्द राजचंद्र पड़ गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ववाणिया में ही हुई। अपने स्कूल में उनकी गिनती होशियार विद्यार्थियों में होती थी। बचपन से ही उनकी धर्म की ओर जो विशेष रुचि थी, वह उत्तरोक्तर विकसित होती गई। परंतु आगे चलकर जैन धर्म का यही विरोधी जैन धर्म का प्रसिद्ध आचार्य बन गया। जैन धर्म के सुधार और जैनियों की फूट को दूर करने के लिए उन्होंने वही काम किया, जो हिन्दू धर्म के लिए आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद ने किया था। मोक्ष माला नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना उन्होंने साढ़े-सोलह वर्ष की उम्र में ही की थी। धीमे-धीमे उनके प्रशंसकों की संख्या बढ़ती गई और 21 वर्ष की अवस्था में ही उन्हें जैनियों के धर्मगुरु का स्थान प्राप्त हो गया था, तभी उनका नाम रायचंद भाई की जगह श्रीमद् राजचंद्र पड़ गया। वह अपने विचार सरल भाषा में लोगों को समझाते, जिनका जनता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।