ग्वालियर, 03 मई। सेवार्थ पाठशाला की विभिन्न इकाईयों में भगवान परशुराम का अवतरण दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया। साथ ही मिष्ठान वितरण किया गय। विवेकानंद नीडम स्थित पाठशाला में पढऩे वाले सर्वसमाज के बच्चों ने भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम प्राकट्य उत्सव धूमधाम से मनाया।
सतयुग की समाप्ति एवं त्रेता का शुभारंभ, मां गंगा का अवतरण दिवस, भगवान परशुराम का जन्म उत्सव, अक्षय तृतीया तथा भारतीय सनातन धर्म में किए गए पुण्य को गुणित करने वाला यह प्रथम दिवस सारी दुनिया में भारतीय संस्कृति का प्रतीक दिवस माना जाता है। आज के दिन सारे देश में विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा शासकीय निकायों के द्वारा कन्या विवाह का आयोजन किया जाता है। सेवार्थ पाठशाला नीडम इकाई के द्वारा आज सुबह सात से नौ बजे के बीच विवेकानंद नीदम ग्वालियर में लगभग 100 बच्चों के बीच यह उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बौद्ध धर्म के प्रख्यात विश्वविद्यालय विदिशा सांची के पूर्व सहायक निर्देशक विवेक पांडे थे। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय क्र.तीन की व्याख्याता भाग्यश्री भागवत, बैंक के प्रबंधक मोहनलाल जी, सेवानिवृत्त मेजर मनोज पांडे, पाठशाला समूह के संरक्षक ओपी दीक्षित तथा समाजसेवी संस्था मन की उड़ान एवं पाठशाला के स्वयंसेवक आरती यादव, पिंकी मिश्रा, नीलम लखेरे, एसके त्यागी इत्यादि भी उपस्थित थे।
यद्यपि सभी सामाजिक संगठन इस दिवस को धार्मिक स्वरूप में मनाते हैं। सेवार्थ पाठशाला का यह दृष्टिकोण है कि भगवान परशुराम श्रृष्टि के नायक थे तथा ईश्वर के छठवें अवतार थे, अर्थात इस दिवस को सभी धर्मों के अनुयाइयों के द्वारा मनाया जाना सर्वस्पर्शी समाज के लिए एक प्रेरणादायक तत्व होगा। जिन कन्याओं के विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त होता है, उन कन्याओं को शिक्षा रूपी अलंकरण से अलंकृत करने के बाद जब परिणय सूत्र में बांधा जाएगा, उसके पूर्व बेटियां पढ़-लिखकर के समाज और राष्ट्र का आभूषण बनेंगे। शिक्षा के द्वारा मूल्यों को संस्कारों को गढ़ा जाएगा। उसी स्थिति में कन्या विवाह की सार्थकता और सशक्त भारत की रचना होगी। इस दृष्टि से सेवार्थ पाठशाला में यह दिन सर्वहारा वर्ग के बच्चों के बीच मनाया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी बच्चों को मिष्ठान वितरण एवं राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।