गद्य साहित्य की विधाओं से सुसज्जित हुआ पाठक मंच

ग्वालियर, 14 दिसम्बर। मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा संचालित पाठक मंच योजना के अंतर्गत चार पुस्तकों पर परिचर्चा समीक्षा का आयोजन भाषा अध्ययन शाला जीवाजी विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ। जिन पुस्तकों की परिचर्चा हुई उनमें कहानी संग्रह, उपन्यास, ललित निबंधों का संकलन रहा
प्रथम पुस्तक कामना सिंह द्वारा लिखित उपन्यास पद्मअग्नि, द्वितीय पुस्तक ‘एकदा भारतवर्षे’ हेमंत शर्मा द्वारा लिखित 114 कहानियों का बेजोड़ किस्सागोई, इसी क्रम में तृतीय पुस्तक ‘चिंगारी की विरासत’ नर्मदा प्रसाद उपाध्याय द्वारा संकलित 21 ललित निबंधों का अनूठा संग्रह, चौथी पुस्तक ‘कशीर’ जो कश्मीरी हिन्दू ब्राह्मणों पर हुए अत्याचारों का खुला चित्रण है। इस पाठक मंच में भाषा अध्ययन केन्द्र के छात्र एवं शिक्षक सम्मिलित हुए शिक्षकों ने पुस्तकों की महत्ता पर प्रकाश डाला। आचार्य राकेश दुबे ने माँ सरस्वती की वैदिक मंत्रों से आराधना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। माँ सरस्वती की वन्दना एमए संस्कृत के छात्र रामकृष्ण पाल ने की|

पाठक मंच की संयोजिका डॉ. ज्योत्सना सिंह राजावत ने पाठक मंच की महत्ता बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा मंच है जहां पर अलग-अलग विधाओं की चार पुस्तकों की समीक्षा हुई है, इन पुस्तकों की समीक्षा से पुस्तक लेखन की गुणवत्ता को बेहतरीन तरीके से जाना समझा और सीखा जा सकता है, यही पाठक मंच का उद्देश्य है। आज का युवा जाने क्या-क्या लिखा जा रहा हैं, यदि आपको वास्तव में स्तरीय लेखन करना है तो पाठक मंच से जुडऩा चाहिए।
डॉ. वन्दना कुशवाह ने कहा कि पाठक मंच पर आने वाली पुस्तकें बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण होती हैं, पाठक मंच में सभी वर्ग के लोग साहित्य से जुड़ सकते हैं, साहित्य समाज का सदैव पथ प्रदर्शित करता है। डॉ. धर्मेन्द्र शर्मा ने कहा कि निरंतर सृजनशील रहें, हिन्दी साहित्य से जुड़ें।
डॉ. राहुल श्रीवास्तव ने पाठक मंच की सराहना करते हुए कहा कि हिन्दी साहित्य की धरोहर को जीवंत करने का अच्छा माध्यम है। ‘कशीर’ सहना विजय कुमार के उपन्यास की समीक्षा डॉ. राहुल श्रीवास्तव ने की, कश्मीर हिन्दुओं की दुर्दशा का उनके साथ हुए सौतेले व्यवहार का बहुत सुंदर चित्रण किया है। कश्मीर का अर्थ है कश्मीरी तहजीब, कश्मीरी हिन्दुओं की दशा और दिशा वहां के लोगों का शोषण, आतंकवादियों की बर्बरता का सटीक चित्रण किया है।
पद्मअग्नि कामना सिंह द्वारा लिखित उपन्यास की समीक्षा हिन्दी एमए प्रथम सेम की छात्रा हर्षिता खरे ने करते हुए बताया कि यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो चार भागों में विभक्त है, अग्नि का नाता पद्मावती से है उसके जौहर कुण्ड के पास आज भी गर्म हवा का एहसास होता है आज भी नारी पर होने वाले अत्याचारों की बात सुनते ही महारानी पद्मावती की प्रज्वलित अग्नि का अनुभव होने लगता है।


कहानियों का अद्भुत संग्रह हेमंत शर्मा द्वारा लिखित एकदा भारतवर्षे एमए की छात्रा दीक्षा त्यागी द्वारा लिखित समीक्षा ने सबका ध्यान आकृष्ट किया। दीक्षा ने बताया कि इस संग्रह में राजनीति समाज भारत की विरासत प्राचीन धरोहर संस्कृति और उसकी परंपरा को समझाने का लेखक ने बहुत अच्छा प्रयास किया है, पैनी धारदार लेखनी पाठक को मंत्रमुग्ध कर देती है। चौथी पुस्तक चिंगारी की विरासत नर्मदा प्रसाद उपाध्याय की पुस्तक की समीक्षा डॉ. निशी भदौरिया ने की, यह ललित निबंधों का संकलन आनंद की अनुभूति के साथ दिव्य आध्यात्मिक महत्व को प्रतिपादित करता है, चिंगारी तो एक आह्वान है, संकल्प है, जिस पर प्रलय भी विस्मित हो जाती है, कितनी गहरी सोच एक अनूठा दस्तावेज है।
डॉ. राहुल श्रीवास्तव, डॉ. निशी भदौरिया, हर्षिता खरे, दीक्षा त्यागी सभी की उत्कृष्ट समीक्षा रही। राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विचारों से समन्वित यह पुस्तकें नई पीढ़ी को पढऩे और समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। चिंतन, शैली और कथ्य की दृष्टि से यह दोनों उपन्यास बहुत उत्कृष्ट है। कार्यक्रम का कुुशल संचालन एमए हिन्दी के छात्र देवेन्द्र सिरोलिया ने किया। उपस्थित अतिथियों का आभार डॉ. ज्योत्स्ना सिंह राजावत ने व्यक्त किया। इस अवसर पर शिक्षक और छात्रों में डॉ. धर्मेन्द्र शर्मा, राकेश दुबे, डॉ. राखी वशिष्ठ, डॉ. रीना भार्गव, हर्षिता खरे, आस्था राजावत, दीक्षा त्यागी, शिवम यादव, श्वेता यादव, देवेन्द्र सिरोलिया, ज्योति, शिवानी ठाकुर, दीपक शर्मा, गिरीश सोलंकी, संदीप सिंह, रामकृष्ण पाल ने उपस्थित रहकर सहयोग प्रदान किया।