ग्वालियर, 29 जुलाई। निम्न आय वर्ग एवं झुग्गी झोपडी में रहने वाले बच्चों के लिए चल रही सेवार्थ पाठशाला में कोरोनाकाल के समय से वह बच्चे पढने आते हैं, जिनके माता-पिता मजदूरी के लिए गांव से शहर में आए हुए हैं या जिन बच्चों का एडमिशन किसी स्कूल में है मगर वह शहर में अपने मां-बाप के साथ रह रहे हैं। बहुत सारे बच्चे ऐसे भी हैं जिन्होंने स्कूली शिक्षा छोड दी है। ऐसे सभी बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने एवं उनमें शिक्षा के प्रति लगाव पैदा करने के लिए कई स्थानों पर सेवार्थ पाठशाला समाज के सहयोग से अनवरत पाठशाला का संचालन कर रही है, ऐसे सभी बच्चों के लिए न्यूनतम अधिगमन शिक्षण व्यवस्था हेतु एक पाठ्यक्रम तैयार किया गया जो कि बच्चों के लर्निंग गैप को पूरा कर सके।
सेवार्थ पाठशाला में पढ़ रहे छात्रों के लिए शिक्षकों एवं विषय विद्वानों द्वारा लर्निंग गैप तथा शैक्षणिक अंतराल को दूर करने तथा एकरूपता लाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया। इस पाठ्यक्रम को क्रियान्वन हेतु कार्यशाला शिक्षक- प्रशिक्षण कार्यक्रम विवेकानंद नीडम सभागार में कुलपति राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अरविन्द शुक्ला की उपस्थिति में कार्यशाला रखी गई। हिन्दी पाठ्यक्रम के घटकों को विस्तृत रूप से श्रीमती रितु दिनेश भार्गव एवं गणित विषय के घटकों को सोनू शर्मा द्वारा शिक्षकों को कार्यशाला के माध्यम से समझाया गया।
श्रीमती रितु भार्गव ने बताया कि हिन्दी में घटकों के आधार पर बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है, उनमें भाषाई घटक- मौखिक भाषा का विकास, ध्वनि जागरूकता, वर्ण, शब्द भण्डार, समझ, धाराप्रवाह पठन, स्वतंत्र अभिव्यक्ति और लेखन के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि तथा समझने की शक्ति पैदा होती है। इसी प्रकार सोनू शर्मा ने बताया कि गणित के विषय में बच्चों को आकृति, अंक, चित्र तथा पहेलियों के माध्यम से गणित को समझाया जाए तो बच्चों के दिमाग में यह जल्दी समझ आता है। कार्यशाला की अध्यक्षता पाठशाला के अध्यक्ष ओमप्रकाश दीक्षित ने की। इस अवसर पर पाठशाला के सचिव पूर्व सूबेदार मेजर मनोज पाण्डे, मोहनलाल अहिरवार, राकेश श्रीवास्तव, विवेकानंद नीडम से उपेन्द्र मिश्रा एवं अन्य सदस्य तथा लगभग 40 शिक्षक कार्यक्रम में मौजूद रहे। शिक्षकों को लेखन सामग्री के अतिरिक्त मिठाई के पैकेट भी प्रसाद स्वरूप वितरित किए गए।