महिला सशक्तिकरण के तहत प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित

भिण्ड, 15 जनवरी। कलेक्टर की अध्यक्षता में महिला सशक्तिकरण सप्ताह अंतर्गत कार्य स्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013 के तहत प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने सभी कार्यालय प्रमुखों से कहा है कि ऐसे आने वाली शिकायतें और शिकायत के संबंध में संपूर्ण कार्रवाइयां पूर्णता गोपनीय रखी जाएंगी। इनका किसी भी स्तर पर खुलासा नहीं किया जाएगा और समिति से मिलने वाली सिफारिश के आधार पर नियुक्त दोषी कर्मचारियों पर कार्यवाही करेंगे। यदि नियोक्ता के विरुद्ध प्राप्त शिकायत है तो उसका प्रकरण कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जाए और उसे शासकीय कर्मचारी पर सिविल सेवा आचरण नियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय जैन ने कार्य स्थल पर महिलाओं की लैंगिक उत्पीडन अधिनियम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह अधिनियम 2013 से लागू है और इस अधिनियम के तहत महिलाओं को कार्य स्थल पर संरक्षण प्रदान किया गया है। बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि यह अधिनियम न केवल शासकीय कार्यालय एवं संस्थाओं पर लागू होता है। ऐसे सभी कार्यालय जिम 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं वहां पर आंतरिक परिवार समिति गठित किया जाना अनिवार्य है और ऐसे कार्यालय जहां पर कोई भी महिला कर्मी कार्यरत नहीं है, वहां भी समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। आंतरिक परिवार समिति में कार्यालय अथवा संस्था की सबसे वरिष्ठ महिला अधिकारी और एक सदस्य जो बाहर का होगा जिसका कार्यालय से संबंध नहीं होगा और कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी होंगे।
इसी प्रकार स्थानीय परिवार समिति का गठन जिला स्तर पर किया गया है जिसमें एक पीठासीन अधिकारी महिला होगी और जिला कार्यक्रम अधिकारी उसके सदस्य सचिव होंगे और दो व्यक्ति अन्य होंगे जिन्हें महिला के संबंध में अधिकारों के संबंध में कानून के संबंध में जागरुकता की जानकारी है। समस्त कार्यालय प्रमुखों का यह दायित्व है कि अपने कार्यालय में आंतरिक परिवार समिति का गठित करें। उक्त अधिनियम के तहत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को नोडल बनाया गया है और अधिनियम की निगरानी की जिम्मेदारी उन्हीं की है। ऐसे कार्यालय प्रमुख जो अपने कार्यालय में आंतरिक परिवार समिति गठन करने में विफल रहते हैं अथवा समिति का कार्यकाल जो तीन वर्ष निर्धारित है पूर्ण होने के पश्चात पुनर्गठन करने में विफल रहते हैं, उन पर 50 हजार तक का जुर्माना अधिरोपित किया जा सकता है। मुख्य कार्यपालिका अधिकारी मनोज सरियाम ने सभी कार्यालय प्रमुखों से अपेक्षा की है कि उनके कार्यालय में पूर्व से ऐसी समिति गठित हैं और जहां समिति गठित नहीं है वह तत्काल उनके पुनर्गठन की कार्रवाई कर जिला कार्यक्रम अधिकारी को आदेश की एक प्रति उपलब्ध कराएंगे।