सागर, 07 अगस्त। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी अरविन्द रैकवार को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(3) में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-5(एल), सहपठित धारा 6 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही-ए) एससी/एसटी एक्ट के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुनर्वास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन एवं विवेचना एसडीओपी देवरी पूजा शर्मा ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (बालिका के पिता) ने चार फरवरी 2021 को थाना रहली में रिपोर्ट लेख कराई कि तीन फरवरी को सुबह करीब चार बजे वह जब खेत से घर वापस आया तो उसकी तीसरी लडकी (पीडिता) घर पर नहीं मिली। जिसके बारे में उसने सबसे छोटी लडकी से पूछा तो उसने बताया कि मामा के यहां गई होगी, तब उसने बालिका के मामा के यहां जाकर पता किया, लेकिन बालिका वहां पर नहीं थी, फिर उसकी तलाश आस-पास व रिश्तेदारी में की, लेकिन बालिका को कोई पता नहीं चला। पिता ने बालिका के बिना बताए कहीं चले जाने तथा अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना मोतीनगर पुलिस ने धारा 363, 366, 376(3), 376(2)(एन) भादंसं, धारा 5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, धारा 3(2)(व्ही-ए), 3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।