मुख्य अभियंता पर बहाली के लिए दबाब
– राकेश अचल
ग्वालियर, 06 जुलाई। दतिया जिले में चार मासूम बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार लोनिवि सेतु संभाग के कार्यपालन यंत्री के निलंबन से प्रदेश के लोनिवि मुख्य सचिव बेहद दुखी हैं, उन्होंने निलंबित कार्यपालन यंत्री के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था करने वाले विभाग के मुख्य अभियंता की क्लास ले डाली। याद रहे कि लोनिवि सेतु संभाग के कार्यपालन यंत्री ज्ञानवद्र्धन मिश्रा को संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने 27-28 जून को इंदरगढ़-कामद मार्ग के बोहरा रपटे पर हुई वाहन दुर्घटना के बाद लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित किया था। इस रपटे पर एक आयशर वाहन नाले में गिर गया था। इस हादसे में चार बच्चों समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी।
इस दर्दनांक हादसे के लिए संभागायुक्त दीपक सिंह ने कार्यपालन यंत्री ज्ञानवद्र्धन मिश्रा को प्राथमिक तौर पर जिम्मेदार माना था, क्योंकि उन्होंने बोहरा नाले पर लगभग पूरे बन चुके पुल के लिए बनाए गए डायवर्सन मार्ग न तो फेसवाल पर कोई व्हील गार्ड लगवाया था और न ही संकेतक लगाए गए थे, न ही एप्रोच रोड के दोनों तरफ गिट्टी-मिटटी की फाइलिंग की गई थी। दुर्घटना के समय डायवर्सन मार्ग के रपटे पर 15 फीट पानी बह रहा था। संभाग आयुक्त ने कार्यपालन यांत्रि को निलंबित कर कानून और व्यवस्था की दृष्टि से प्रमुख अभियंता को वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए, तो प्रमुख अभियंता ने ग्वालियर के कार्यपालन एंट्री ओमहरि शर्मा को वैकल्पिक रूप से सेतु संभाग के कार्यपालन एंट्री का प्रभार सौंप दिया। खबर है कि ग्वालियर वृत्त के प्रमुख अभियानता द्वारा किए गए इस वैकल्पिक इंतजाम से लोनिवि के प्रमुख सचिव रूठ गए हैं।
लोनिवि के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह ने प्रमुख अभियंता की कार्रवाई को अधिकार वाह्य माना और खूब डांट-डपट की। प्रमुख सचिव चाहते थे कि कार्यपालन यंत्री का निलंबन आदेश घटना का विस्तृत विवरण दिए बिना दो पंक्तियों में निकाला जाना चाहिए था और उसके स्थान पर वैकल्पिक पदस्थापना मुख्यालय से करने का आग्रह किया जाना था। सुना जाता है कि प्रमुख सचिव ने आपे से बाहर होकर प्रमुख अभियंता से यहां तक कह दिया कि जब आपको अपने अधिकार क्षेत्र का पता नहीं है तो आप मुख्य अभियंता के पद पर बने कैसे हैं? प्रमुख सचिव की टिप्पणी से मुख्य अभियंता बहुत आहत हुए, उन्होंने शालीनता से प्रमुख सचिव को सूचित किया कि उन्होंने जो भी कार्रवाई की है वो उसके लिए अधिकृत हैं। मुख्यालय चाहे तो उनके आदेश को निरस्त कर नई व्यवस्था कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि इस दर्दनाक हादसे के बाद राज्य शासन ने खुद मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। ये हादसा गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के जिले में हुआ था। इसलिए संभाग आयुक्त ने भी तत्पर कार्रवाई करते हुए सेतु संभाग के लापरवाह कार्यपालन यंत्री को निलंबित कर दिया था। खबर है कि निलंबित कार्यपालन यंत्री भी गृहमंत्री का कृपा पात्र है। उसकी जगह जिसे प्रभार सौंपा गया है उसे भी गृहमंत्री पसंद करते हैं, किन्तु प्रमुख सचिव सेतु संभाग ग्वालियर में अपनी पसंद का कार्यपालन यंत्री भेजना चाहते थे। वे अभी भी ऐसा कर सकते हैं, किन्तु उन्हें मुख्य अभियंता की कार्रवाई रास नहीं आई। कुल मिलाकर अब ग्वालियर के मुख्य अभियंता प्रमुख सचिव के निशाने पर हैं। प्रमुख सचिव चाहते हैं कि मुख्य अभियंता खुद निलंबन आदेश को निरस्त करें, जबकि मुख्य अभियंता का कहना है कि अब ये अधिकार मुख्यालय का है, उन्होंने तो वैकल्पिक व्यवस्था की है और संभाग आयुक्त के आदेश का पालन किया है। अब कार्यपालन यंत्री की बहाली या नई पदस्थापना मुख्यालय को करना है।