पंच कल्याणक महोत्सव में भगवान शांतिनाथ का हुआ तप कल्याणक

याग मण्डल विधान एवं जन्म कल्याणक की हुई पूजा

भिण्ड, 11 जून। भारत गौरव गणाचार्य विराग सागर महाराज के शिष्य मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज ससंघ सानिध्य में 13 जून तक निराला रंग विहार मेला ग्राउण्ड में चल रहे श्री 1008 मज्जिनेन्द्र जिनबिंब शांतिनाथ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में रविवार को सुबह भगवान का नित्याभिषेक, पूजन कार्यक्रम के पश्चात याग मण्डल विधान का आयोजन किया गया। जिसमें भगवान के माता-पिता बने पूर्व पार्षद मुन्नालाल जैन दद्दा-शकुंतला जैन, सौधर्म इन्द्र-इन्द्राणी चक्रेश जैन-बबिता जैन, कुबेर मुकेश जैन बड़ेरी-मिथलेश जैन, ईशान इन्द्र- धीरज जैन-शीतल जैन, महेन्द्र इन्द्रे जितेन्द्र जैन -मीनाक्षी जैन, यज्ञनायक सौरभ-गरिमा जैन आदि इन्द्रों ने 250 अघ्र्य भक्ति करते हुए प्रतिष्ठाचार्य पं. अजीत जैन, सह प्रतिष्ठाचार्य पं. संदीप शास्त्री ने विधिविधान से अघ्र्य चढ़ाए।

इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज ने कहा कि पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आज हम सभी तीर्थंकर शांतिनाथ की बाल क्रीड़ा को देखने के लिए बैठे हैं। वो खेल खेल रहे थे, इसमें ज्ञान तत्व दे रहे हैं। उनकी हर क्रिया कर्म निर्जरा कर रही है। उनकी हर क्रिया अंतिम है, यहां पर बच्चे खेल रहे हैं, उनका भविष्य क्या होगा? हम सभी यही सोच रहे हैं। हम बच्चों को गुरूकुल में बनारस, बरनावा, जयपुर कहां भेजें जिससे बालक आने वाले समय में धर्म के साथ व्यवहारिक, आध्यात्मिक सोच रख सके। उन्होंने कहा कि आपका बच्चा कितने बजे उठता है? तभी एक व्यक्ति ने जबाव दिया कि आठ बजे। तो उन्होंंने कहा कि जब आपका बच्चाआठ बजे उठेगा तो वह मन्दिर कब जाएगा, सुबह जल्दी जागने वाले बच्चे बुद्धिमान होते हैं। जिन बच्चों में धार्मिक, आध्यात्मिक संस्कार बचपन से ही आते हैं। बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को हॉस्टल आदि में पढऩे के लिए भेज देते हैं। तो उनमें धार्मिक संस्कार, खान-पान सब बिगड़ जाता है। इसलिए बच्चों को धर्म से जोड़ें, धर्म के साथ लौकिक पढ़ाई भी करें। जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल बना रहे।
तीर्थंकर बालक का हुआ विवाह
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में तीर्थंकर बालक को बचपन में अच्छी शिक्षा दी गई थी और उन्हें अच्छे संस्कार और कौशल सिखाए गए थे। जैसे-जैसे वे युवावस्था में पहुंचे तो राजा विश्वसेन ने अपने पुत्र राजकुमार शांतिनाथ को राजगद्दी सौंप दी और उनका विवाह कराया और पण्डाल में बारात निकाली गई। ऐसा दृश्यों देखकर सभी लोग अभिभूत हो रहे थे और भगवान की बारात में भक्ति करते हुए नृत्या कर रहे थे। एक राजा के रूप में शांतिकुमार ने पूरी दुनिया पर जीत हासिल की और पांचवे चक्रवर्ती बनने के लिए 14 रत्न प्राप्त किए थे। इस प्रकार वे एक ही जन्म में चक्रवर्ती और तीर्थंकर बन गए।
दिग्विजय यात्रा निकली

पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्स व में रविवार की दोपहर में दिग्विजय यात्रा किला गेट से निकाली गई। जो नगर भ्रमण करते हुए बजरिया, गोल मार्केट, फ्रीगंज, बताशा बजार, परेड चौराहा, इटावा रोड, देवनगर कॉलोनी, महावीर गंज होते हुए कार्यक्रम स्थल मेला ग्राउण्ड पहुंची। जिसमें एक हाथी, एक बग्घी और दो बैण्ड बाजों के साथ एक उदयपुर का बैण्ड चल रहा था।
शाम की सभा में हुआ पालना-झूलना
शाम की सभा में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भगवान को पालना झूला कराया गया। जिसमें सबसे पहले माता-पिता और सौधर्म इन्द्र तथा बुआ आदि ने भगवान को पालना झूला कराया एवं ड्रॉ निकाला गया। ड्रॉ में वाशिंग मशीन का कूपन उमेश शास्त्री भिण्ड का निकला।
ज्ञान कल्याणक आज
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सोमवार 12 जून को सुबह सात बजे जिनाभिषेक, नित्यायर्चन, तप कल्याणक पूजन एवं शांति हवन का आयोजन किया जाएगा। तत्पश्चात आठ बजे मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज के मांगलिक प्रवचन एवं दिव्य देशना कार्यक्रम किया जाएगा एवं दोपहर एक बजे दीक्षा विधि, अंकन्यास संस्कार रोपण तथा 3:30 बजे आचार्य संघ की दिव्य देशना होगी। शाम की सभा में 7:15 बजे महाआरती, शास्त्र सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।