परमात्मा को मनाने का रास्ता गुरू के माध्यम से मिलता है : रामभूषण दास

दंदरौआ धाम में श्रीमद् भागवत कथा में हो रहे हैं प्रवचन

भिण्ड, 11 अप्रैल। गुरू के बिना परमात्मा से संबंध बनाना असंभव है, क्योंकि गुरू मनुष्य नहीं होता, गुरू एक ऐसा तत्व होता है जो मनुष्य को परमात्मा से संबंध जोडऩे वाला होता है। गुरू कमजोर हो सकता है, लेकिन गुरू पद कमजोर नहीं होता। विद्वानों का मानना है कि अगर परमात्मा रूठ जाए तो आप गुरू की शरण में चले जाओ परमात्मा को मनाने का रास्ता गुरू के माध्यम से जुड़ता है। यह उद्गार दंदरौआ धाम में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा वाचक भागवताचार्य श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत श्री रामभूषण दासजी महाराज ने प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर दंदरौआ धाम के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत श्री रामदास जी महाराज ने कहा कि संत कभी अपने लिए कार्य नहीं करते हैं, संत तो जनकल्याण और राष्ट्रहित की भावनाएं से कार्य करते है। संत कभी अपने लिए नहीं जीते है संत तो राष्ट्र कल्याण और समाज कल्याण के लिए जीते हैं। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षत स्व श्रीमती विमला देवी-बृजमोहन शर्मा (मुन्ना) वृंदावन धाम के महंत श्रीश्री 1008 राधिकादास महाराज मंचासीन रहे। इस मौके पर रामबरन पुजारी, गिरजाशंकर शर्मा, कुलदीप शर्मा, जलज त्रिपाठी, पवन शास्त्री, नरसी दद्दा की विशेष उपस्थति रही।