किसी के अहित के लिए किया गया कार्य कभी सफल नहीं हो सकता : चिन्मयानंद बापू

लहार में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में हुआ संतों का समागम

भिण्ड, 09 अप्रैल। जीवन में कुछ प्राप्त करना है तो भगवान की भक्ति प्राप्त करो। क्योंकि यही एक चीज है जो लोक और परलोक दोनों सुधार देगी, हमेशा दूसरों के हित के लिए कार्य करो, क्योंकि दूसरों का अहित करने के लिए किया गया कार्य कभी सफल नहीं होता। यह उद्गार कथा व्यास राष्ट्रीय संत चिन्मयानंद बापू ने उपाध्याय गार्डन लहार में अम्बरीश शर्मा गुड्डू भैया द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को व्यक्त किए।
चिन्मयानंद बापू ने कहा कि जब किसी व्यक्ति के स्वभाव में घमण्ड आ जाता है तो उसके अच्छे काम भी बिगड़ जाते हैं, अहंकार की वजह से व्यक्ति को सही-गलत का ध्यान नहीं रहता है और वह कुछ ऐसा कर देता है, जिससे बने-बनाए काम भी असफल हो जाते हैं। प्रजापति दक्ष का सभी देवताओं और बड़े-बड़े ऋषि- मुनि भी सम्मान करते थे। एक दिन एक यज्ञ हो रहा था। यज्ञ में सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि बैठे हुए थे। उस समय प्रजापति दक्ष यज्ञ स्थल पर पहुंचे तो वहां बैठे सभी लोग उनके सम्मान में खड़े हो गए, लेकिन शिवजी बैठे हुए थे। शिवजी दक्ष की पुत्री सती के पति थे, इस रिश्ते से दक्ष शिवजी के ससुर थे, दक्ष अहंकारी था, उसने सभी को अपने सम्मान में खड़े देखा तो वह बहुत खुश हुआ, लेकिन जैसे ही उसकी नजर शिव जी पर पड़ी तो वह क्रोधित हो गया, शिव जी आंखें बंद करके ध्यान में बैठे हुए थे। दक्ष के सम्मान में शिव जी नहीं उठे तो दक्ष ने सोचा कि ये मेरे दामाद हैं, मेरी संतान की तरह हैं। इस रिश्ते से इन्हें मेरे सम्मान में उठना था। इतना सोचने के बाद अहंकार दक्ष ने शिव जी का अपमान करना शुरू कर दिया, शिव जी शांत थे और दक्ष की बातें सुन रहे थे, लेकिन उस समय वहां मौजूद नंदीश्वर शिव जी का अपमान सहन नहीं कर पाए और उन्होंने दक्ष को शाप दे दिया। नंदीश्वर के शाप से भृगु ऋषि गुस्सा हो गए, उन्होंने नंदी को शाप दे दिया, कुछ ही देर में पूरा यज्ञ बिगड़ गया। इस घटना से संदेश मिलता है कि घमण्ड को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए। जो लोग घमण्ड करते हैं, उन्हें कहीं भी मान-सम्मान नहीं मिलता है।

श्रीमद् भागवत कथा में परम पूज्य संत महाराज रविशंकर जी रावतपुरा सरकार, मप्र हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष आशुतोष तिवारी, भाजपा जिलाध्यक्ष देवेन्द्र नरवरिया, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी रमाकांत पटसरिया, हरिओम उपाध्याय खनेता, केके त्यागी, अर्पित मुद्गल, जेपी शर्मा, विकास शर्मा, सुरेन्द्र भारद्वाज सराबन, आनंद महाते, अशोक पाण्डे जालोन, पिंटू दिवोलिया, जयशंकर (लल्लू), सुरेन्द्र पाठक, श्रीमती रुक्मिनी शर्मा, कल्पना भारद्वाज, श्रीनारायण शर्मा ग्वालियर, शिवनारायण दुबे बल्लू वकील, केशवदास गुप्ता दबोह, विष्णुदयाल विलेया दबोह, लल्लूराम गुबरेले दबोह, राकेश कोठारी दबोह, पीएन मेहरा एडवोकेट, बृजनारायण तिवारी, चन्द्रशेखर उपाध्याय, रमाकांत उपाध्याय, गिरजाशंकर परिहार, पहलवान उपाध्याय दाऊ, महेश महाते, राव सहाव के अलावा भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे।