विधिक जागरुकता सशक्त समाज का अभिन्न अंग है : न्यायाधीश

शहर में तीन स्थानों पर विधिक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

भिण्ड, 09 दिसम्बर। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड के आदेशानुसार एवं जिला न्यायाधीश एवं सचिव सुनील दण्डौतिया के मार्गदर्शन में दिव्यांगजन एवं महिलाओं के विरुद्ध हिंसा एवं भेदभाव को समाप्त किए जाने हेतु जागरुकता अभियान के अंतर्गत कृषक उमावि, महिला थाना भिण्ड एवं आंगनबाड़ी केन्द्र विक्रमपुरा में विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।
कृषिक उमावि में आयोजित शिविर में मौजूद न्यायिक मजिस्टे्रट विशाल खाड़े ने बच्चों के कानूनी अधिकारों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि बच्चों को कानून के तहत शिक्षा का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, यौन अपराधों से संबंधित प्रकरणों में गोपनीयता का अधिकार आदि प्रदाय किए गए है, जिनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को सुरक्षा प्रदान करते हुए उन्हें शिक्षा के माध्यम से समाज के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित करना है। शिविर में स्कूल का स्टाफ एवं पीएलव्ही भिण्ड बृजेन्द्र कुमार उपस्थित रहे।

महिला थाना में आयोजित कार्यक्रम में न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री अनुराधा गौतम ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 एवं विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से आपदा पीडि़तों को कानूनी सेवाएं योजना 2015 के तहत जानकारी देते हुए बताया कि जो महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, उन्हें अधिकार है कि वे संबंधित थाने में अपनी रिपोट दर्ज करा सकती है। घरेलू-हिंसा अधिनियम के अंतर्गत पीडि़त महिलाओं को सुरक्षा, भरण-पोषण, आवास आदि का अधिकार प्राप्त है, जिसे वे न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर नियमानुसार प्राप्त कर सकती हैं। कार्यक्रम में महिला थाने का स्टाफ एवं पीएलव्ही सुमित यादव मौजूद रहे।
आंगनबाड़ी केन्द्र 11/5 विक्रमपुरा भिण्ड में आयोजित कार्यक्रम में जिला विधिक सहायता अधिकारी भिण्ड सौरभ कुमार दुबे ने महिलाओं को उनसे संबंधित कानूनों पॉक्सो एक्ट किशोर न्याय अधिनियम 2015, बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 आदि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत विशेष बाल न्यायालय का गठन किया गया है, जिसमें सिर्फ बच्चों से जुड़े मामलों की सुनवाई की जाती है तथा पीडि़ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है। किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत किशोर न्याय बोर्ड का गठन किया गया है, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मैत्रीपूर्ण तरीके से न्याय प्रदाय किया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसी महिलाएं नि:शुल्क विधिक सहायता एवं सलाह हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में उपस्थित होकर या पत्र के माध्यम से या नालसा की हेल्प लाइन नं.15100 पर संपर्क कर सकती हैं।