श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव चरित्र का विशेष महत्व : गोस्वामी जी

स्वरूप विद्या निकेतन में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 04 दिसम्बर। शहर के स्वरूप विद्या निकेतन विद्यालय परिसर में कथा वाचक श्री पुंडरीक गोस्वामी जी के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन अटेर जनपद अध्यक्ष श्रीमती कमला देवी श्रीनारायण शर्मा, श्रीमती उमा कौशल शर्मा, भाजपा युवा नेता विकास शर्मा के साथ कलश यात्रा निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ पूजन कर किया गया। जिन्होंने श्रीमद् भागवत कथा की पुराण को अपने सिर पर रखकर पीले वस्त्रों के साथ कथा स्थल तक पहुंचे।
श्रीमद् कथा के दूसरे दिन कथा का रसपान करा रहे महाराज गोस्वामी ने विराट स्वरूप वर्णन एवं ध्रुव चरित कथा का महत्व को समझाते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव चरित्र की कथा मानव व्यक्तियों के लिए प्रेरणादायक बनेगी। हम सब कथा का स्मरण कर रहे हैं, ध्रुव का चरित्र की बाल लीलाओं में महत्वपूर्ण माना जाता है, राजा परीक्षित ध्रुव चरित्र को भी सुकदेव जी ने ध्रुव जैसे बालक बनने के लिए हम सबको अपने व्यक्तित्व कृतित्व एवं सांप चरित्र पर ध्यान देना चाहिए, तभी ही ध्रुव जैसे युवक बनकर सच्चे भगवान के आस्था के केन्द्र बन सकते हैं।
श्रीमद् भागवत कथा में महाराज ने कहा कि भक्त धु्रव ने पिता और सौतेली मां के बिहार के बाद अपना घर छोड़ दिया और जंगल में तपस्या शुरू कर दी थी, जंगल में उन्हें भगवान ने दर्शन दिए, इसके बाद वह घर चले गए। उन्होंने भक्त ध्रुव के आठ वर्ष की उम्र में ही भगवान की प्राप्ति कर ली थी, यह वही कर पाता है जिसमें अध्यात्मिकता का भाव लोगों में जागृत होगा, वही भगवान की सच्ची प्राप्ति का फल पा सकता है।