आचार्य विमर्श सागर के मंगल प्रवेश पर उमड़ा जनसैलाव

26 संतों के साथ नगर में नौ वर्षों बाद किया मंगल प्रवेश

भिण्ड, 30 नवम्बर। भारत गौरव गणाचार्य विराग सागर महाराज के शिष्य आचार्य विमर्श सागर महाराज का नगर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। आचार्य संघ ने 26 संतों के साथ नगर में जैसे ही मंगल प्रवेश किया तो भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भिण्ड विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने सकल जैन समाज के साथ आचार्य संघ की अगवानी की। जगह-जगह स्वागत द्वार एवं महिलाए-पुरुष, बच्चों ने अपने-अपने द्वार पर रंगोली सजाकर आचार्य संघ की अगवानी में पाद प्रक्षालन एवं आरती की।

नगर के नसियाजी मन्दिर में विराजमान गणाचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के शिष्य मुनि प्रतीक सागर महाराज आचार्यश्री के आगमन पर स्वयं चल कर पहुंचे और उनका स्वागत किया। आचार्य ने उन्हें गले लगाकर उनका अभिवादन किया और एक दूसरे का हालचाल जाना। आचार्यश्री उनका हाथ पकड़कर नगर भ्रमण के दौरान सिटी कोतवाली होते हुए परेड चौराहा, सदर बाजार, गोल मार्केट, फ्रीगंज, बताशा बाजार होते हुए ऋषभ सत्संग भवन पहुंचे, वहां पर आचार्य संघ के मांगलिक प्रवचन हुए।
इस अवसर पर विमर्श सागर महाराज ने कहा कि मैं कभी-कभी सोचता हूं कि गणाचार्य विराग सागर महामुनिराज ने भिण्ड को अपनी कर्मभूमि क्यों बनाया है। भारत देश का इतना बड़ा भूभाग है, जहां कई ऐतिहासिक स्थान है। गुरुदेव ने भिण्ड को इतना अनुराग वात्सल्य क्यों दिया है, इसका उत्तर यहां आने के बाद पता चल गया कि भिण्ड में भक्ति है और भक्ति से सभी को जीता जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज के स्वागत से मैं बहुत ही अभिभूत हूं। मैं इस भिण्ड नगरी में नौ वर्षों के बाद आया हूं। मुझे भी इस नगरी से बहुत ही लगाव है, क्योंकि इस भिण्ड नगर के पास में बरासों अतिशय क्षेत्र है वहां पर मेरी दीक्षा हुई थी। इस भिण्ड ने ही मुझे ‘जीवन है पानी की बूंद’ भजन की रचना दी है।
इस अवसर पर नगर में विराजमान मुनि प्रतीक सागर महाराज ने कहा कि आज बड़ा आनंद का विषय है, आनंद में शब्द नहीं हुआ करते। 1998 का उदाहरण भिण्ड नगर में अवतरित हुआ है, उस समय गणाचार्य विराग सागर महाराज एवं गणाचार्य पुष्पदंत सागर महाराज का मिलन हुआ था। जहां दो संत एक स्थान पर बैठ जाते हैं तो एकता का संकेत अपने आप निर्मित हो जाता है और समाज में एकता का संदेश जाता है। प्रवचन के शुभारंभ पर गणाचार्य विराग सागर महाराज के चित्र का अनावरण किया गया।