एक के बाद एक तीन लोग धंसे थे कुएं में, चौथा बीच से ही वापस लौटा
भिण्ड, 06 अगस्त। अटेर थाना क्षेत्र के ग्राम परा के कछार में ट्यूवबैल की मोटर निकालने कुएं में धंसे एक के बाद एक तीन लोगों की कुएं के अंदर दम घुटने से मौत हो गई। इस घटना के बाद गांव में सन्नाटा छा गया।
जानकारी के मुताबिक परा गांव के पास क्वारी नदी के कछार में मिजाजी खां का ट्यूवबैल है। नदी में आई बाढ़ को देखते हुए कुएं में पानी भरने से मोटर खराब न हो जाए, इसलिए शुक्रवार की सुबह आठ बजे के करीब उन्होंने गांव के बसारत खां उम्र 50 साल पुत्र दफेदार को कुएं के अंदर रखी मोटर को निकालने कुएं में उतार दिया, जब वह नहीं लौटा तो भूरे खां उम्र 40 साल पुत्र नाथू खां को अंदर उतार दिया, जब वह भी वापस नहीं लौटा तो फिर हनीफ खां उम्र करीब 45 साल पुत्र मिजाजी खां कुएं के अंदर उतर गया। उसके न लौटने के बाद सफी खां उम्र 50 साल कुएं में उतर गया, जब वह बीच में ही पहुंचा तो उसे लगा कि कुएं में जहरीली गैस है, और वह बीच से ही वापस बाहर लौट आया। इसी वजह से पहले कुएं के अंदर उतरे तीन लोग वापस नहीं आ सके। घटना की सूचना मिलते ही हल्का पटवारी मधुसूदन सिंह भदौरिया मौके पर पहुंच गए और प्रशासनिक टीम आने तक लोगों को धैर्य रखने समझाइश देते रहे।
ग्रामीणों ने किया चक्का जाम
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन एवं पुलिस को इस घटना की सूचना दी। सूचना के बाद जल्द बचाव टीम नहीं पहुंची तो गुस्साए ग्रामीणों ने भिण्ड-अटेर रोड पर चक्का जाम कर दिया। काफी समय तक वाहनों का आवागमन थमा रहा। अटेर एसडीएम उदय सिंह सिकरवार ने जाम स्थल पर पहुंचकर लोगों को समझाया और जल्द ही ऑक्सीजन सिलेण्डर आने की बात कही। इसी दौरान पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह भी घटना स्थल पहुंच गए थे।
चार घण्टे बाद निकाले गए शव
कुएं में उतरे तीन लोगों को निकालने के लिए जिला मुख्यालय से रेस्क्यू टीम तो पहुंच चुकी थी, लेकिन उनके पास ऑक्सीजन नहीं होने के कारण टीम गैस सिलेण्डर आने का इंतजार करती रही। घटना के करीब चार घण्टे बाद ऑक्सीजन सिलेण्डर भिण्ड से पहुंचा तब जाकर टीम के सदस्य कुएं में उतरे और तीनों के शवों को बाहर निकाला गया।
बचाव कार्य में देरी बनी मौत का कारण
प्रशासन के आला अधिकारियों को घटना के तुरंत बाद ही ग्रामीणों ने पूरे घटनाक्रम के बारे में जाकारी दी। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी काफी देरी से घटना स्थल पर पहुंचे। यदि अधिकारी सही समय पर पहुंच जाते और रेस्क्यू टीम गैस सिलेण्डर साथ लेकर जाती तो गैस प्रभावित लोगों को बचाया जा सकता था।