भिण्ड, 15 जुलाई। मेहगांव नगर के खेडापति हनुमान दरबार पर चल रहे 21 दिवसीय शिव महापुराण के पंचम दिवस कथा में वक्ता आचार्य आशीष शास्त्री ने रुद्राक्ष एवं त्रिकुण्ड तिलक के महत्व, शिव पूजा पद्धति का वर्णन करते हुए बताया कि श्रावण मास एक आध्यात्मिक माह है और इस माह हर नर और नारी को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। मनु मृति ग्रंथ के अनुसार भगवान शिव के पूजन के समय पुरुष को गले में स्वाफी डालकर एवं माता को सिर ढककर पूजा करनी चाहिए। इसी के सभी मनुष्यों को रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए। क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पति हुई हैं, जो भगवान शिव को अधिक प्रिय है, इसे श्रावण में धारण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। रुद्राक्ष का धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है जो मनुष्य रुद्राक्ष को गले में हृदय के पास धारण करता है उससे हृदय रोग से मुक्ति प्राप्त होती है। इस अवसर पर कथा आयोजक 1008 शांतिदास महाराज के साथ सुट्टु महाराज, अशोक चौधरी, प्रभु शर्मा, राघवेन्द्र बरुआ, सुशील भदौरिया सहित नगर के नागरिक उपस्थित रहे।