भक्त के लिए परमात्मा की प्राप्ति सबसे सरल है : पाठक जी महाराज

अकोड़ा में चल रही है नौ दिवसीय श्रीराम कथा

भिण्ड, 30 सितम्बर। नगर परिषद अकोड़ा के वार्ड क्र.पांच में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन संत श्री अनिल पाठक जी महाराज ने वशिष्ठ जी द्वारा प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न के नामकरण की कथा सुनाई।
उन्होंने कहा कि संसार का पर्यायवाची दु:खालय है, यदि आपका लक्ष्य संसारी है तो आप यदि पूजा भी करते हैं तो वह भी एक संसारी कार्य है और यदि किसी भक्त का लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति हो जाए तो उसका भोजन करना भी भजन बन जाता है। जिस प्रकार हमारे मुख पर एक आंख दूसरी आंख को नहीं देख पाती, उसे देखने के लिए दर्पण की आवश्यकता पड़ती है, ठीक वैसे ही ईश्वर संसारी जीवन में हमारे सबसे निकट होते हुए भी हम उनका दर्शन न करके मन्दिरों में उनके दर्पण का दर्शन करते हैं। गोस्वामी जी ने कहा है कि जब तक परमात्मा प्राप्ति लक्ष्य नहीं, तब तक जीवन व्यर्थ है। जहां-जहां अज्ञान है, तहां-तहां अंत में केवल आपको दुख के अलावा और कुछ प्राप्त नहीं हो सकता।
संत श्री अनिल पाठक जी महाराज ने कहा कि आज के समय में मनुष्य भगवान के मन्दिर में फेरी भी अपने स्वार्थ के लिए लगाने लगा है कि मेरा यह काम बन जाए, तो मैं परिक्रमा करूंगा, दर्शन करने आऊंगा, जब तक आप चतुराई का सहारा लोगे तब तक आपको संसारी सुख के अलावा शांति प्राप्त नहीं होगी, जिस दिन आपने चतुराई छोड़ दी उस दिन भगवान की कृपा आप पर होने लगेगी। यदि मनुष्य यह मान ले कि सब कुछ भगवान ने हमें दे रखा है और बस उनका सुमिरन करे, उनका ध्यान धरता रहे, उन पर भगवान की कृपा बरसने लगती है। कथा में शाम को श्रीराम-सीता जी के विवाह की कथा संपन्न कर सभी को झांकी के दर्शन कराए गए।