नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 साल की सजा व 24 हजार रुपए जुर्माना

शाजापुर, 02 अगस्त। विशेष न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शाजापुर के न्यायालय ने आरोपी धर्मेन्द्र पुत्र राधेश्याम बैरागी उम्र 24 वर्ष निवासी ग्राम आक्या चौहानी, थाना बैरछा, जिला शाजापुर को नाबालिग पीडि़ता का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोप में दोषसिद्ध पाते हुए धारा 363 भादवि में तीन वर्ष के सश्रम कारावास और दो हजार रुपए जुर्माना, धारा 366 भादवि में तीन वर्ष का सश्रम कारावास और दो हजार रुपए जुर्माना तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 6 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 20 हजार रुपए के जुर्माना से दण्डित किया है। जुर्माना अदा नहीं करने पर प्रत्येक धारा में अतिरिक्त कारावास की सजा भी भुगताए जाने के आदेश दिए गए हैं। जुर्माने की राशि जमा होने पर उसमें से 20 हजार रुपए प्रतिकर स्वरूप नाबालिक पीडि़ता को अपील अवधि पश्चात अपील ना होने की दशा में दिए जाने के संबंध में भी आदेश दिए गए।
सहायक जिला मीडिया/ अतिरिक्त डीपीओ शाजापुर प्रभारी रमेश सोलंकी ने बताया कि दो जुलाई 2019 को रात्रि के करीब 9.30 बजे नाबालिग पीडि़ता को आरोपी बहला फुसलाकर व शादी का झांसा देकर भगाकर ले गया। पीडि़ता के पिता ने उक्त घटना की रिपोर्ट थाना बैरछा पर लिखाई थी। पीडि़ता ने दस्तयाव होने पर बताया कि आरोपी उसे कई जगह पर लेकर गया और उसके साथ में दुष्कर्म किया, जिसके परिणाम स्वरूप पीडि़ता गर्भवती होकर नौ माह में नवजात शिशु (बालक) को जिला अस्पताल शाजापुर में जन्म दिया। पुलिस द्वारा विवेचना के दौरान पीडि़ता व उसके नवजात बालक तथा आरोपी का डीएनए परिक्षण करवाया गया। डीएनए रिपोर्ट में आरोपी व पीडि़ता के नवजात शिशु (बालक) के जैविक माता-पिता हैं पाया गया ।आरोपी की ओर से डीएनए रिपोर्ट को स्वीकार भी किया गया। फरियादी की रिपोर्ट पर से पुलिस आरक्षी केन्द्र बैरछा ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी। विवेचना उपरांत सक्षम न्यायालय में आरोपी के विरुद्ध चालान प्रस्तुत किए जाने पर अभियोजन की ओर से पैरवीकर्ता अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी शाजापुर रमेश सोलंकी ने गवाहों के कथन कराए। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से पैरवीकर्ता जिला लोक अभियोजन अधिकारी शाजापुर देवेन्द्र मीणा के तर्कों एवं अभिलेख पर आई साक्ष्य से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषी पाते हुए दण्डित किया गया है।