सत्य सुनीति से पैदा होता है, जो सत्य पर टिका, वही ध्रुव है : पं. ब्यास

मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर मेहगांव में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

भिण्ड, 26 जून। मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर मुरैना तिराहा मेहगांव पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में रविवार को कथा व्यास रामप्रकाश जी व्यास ने ध्रुव चरित का मार्मिक व हृदय स्पर्शी वर्णन करते हुए कहा कि कर्म फल सदैव क्रिया से लगता है इसलिए कर्म को क्रिया में बदलने की आवश्यकता है।


उन्होंने ध्रुव चरित का वर्णन करते हुए कहा कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है। कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक ध्रुव को जन्म देती है। पांच वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर सुरुचि उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। बालक ध्रुव यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए।
इस पुनीत चरित को सुनकर श्रोता मंत्र मुग्ध नजर आए कथा पारीक्षत श्री हनुमान जी महाराज को बनाया गया है। आयोजक मण्डल ने धर्मप्रेमी बन्धुओं से कथा श्रवण की अपील की है।