जग सिरमौर बनाएं भारत : निखिलेश महेश्वरी

विद्या भारती के शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग का पचोर में हुआ समापन

पचोर (राजगढ़), 21 मई। विद्या भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा मार्गदर्शित ग्राम भारती शिक्षा समिति मध्य भारत प्रांत भोपाल द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार आयोजित प्रांतीय आचार्य सामान्य शिक्षण वर्ग शनिवार को सरस्वती शिशु मन्दिर पचोर में सानंद संपन्न हुआ। इस आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में शामिल आचार्य-दीदी शामिल हुए।


प्रांतीय कार्यालय प्रमुख और भोपाल विभाग प्रभारी राजेन्द्र सिंह ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि शिविर को संबोधित करते हुए प्रांतीय संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी ने कहा कि विद्या भारती के (सरस्वती शिशु मन्दिर) विद्यालय आज संपूर्ण भारत में संस्कार युक्त, राष्ट्र भक्ति, नैतिक एवं जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का पुनीत कार्य अहर्निश कर रहे हैं। लाखों छात्र-छात्राएं प्रतिदिन मां सरस्वती से जग सिरमौर बनाएं भारत, वह बल विक्रम दे, अम्ब विमल मति दे। यह साग्रह निवेदन करते हुए अपनी पढ़ाई प्रारंभ करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परम्परा यहां की संस्कृति, भारत का गौरवशाली इतिहास गर्व करने वाला रहा है। हमारे आचार्य, दीदी, भैया-बहिनों को प्रेरणा देते हैं एक श्रेष्ठ नागरिक बनने की। परहित सरिस धर्म नहिं भाई,पर पीड़ा नहिं सम अधिमाई। आज भी गांव-नगर में सायं की आरती के बाद धर्म की जय हो, प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो, जैसे जयघोष लगाए जाते हैं, भारत की संस्कृति समभाव, समरसता, प्रकृति पूजा, जीवदया की रही है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्या कुमारी तक, अटक से कटक तक भारत एक सशक्त स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र रहा है। जहां डाल डाल पर सोने की चिडिय़ां करतीं हैं बसेरा, वह भारत देश है मेरा। हमारे देश में लोग अपने घरों में कभी ताला नहीं लगाते थे। यहां की चित्र कला, वास्तुकला, वैदिक शिक्षा, चिकित्सा पद्धति, कुंभ मेले आदि दुनियां में अद्भुत हैं। जिस पर हर भारतीय को गर्व होता है। हमारा भारत जग सिरमौर बने, हमारा भारत पुन: विश्व गुरू बनेगा हम सबके सकारात्मक विचार एवं प्रयास से। आज हम आत्मनिर्भर, स्वाबलंवन, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास, बालिका शिक्षा, वैदिक शिक्षा चिकित्सा शिक्षा आदि के क्षेत्र में निरंतर विकास कर रहे हैं।


दीक्षांत समारोह में विद्या भारती के अखिल भारतीय ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा के सह संयोजक शशिकांत फड़के ने कहा कि दीक्षांत यह अंत नहीं, शिक्षण व्यवस्था के क्रियान्वयन का प्रारंभ है। अपने विद्यालय को गांव का आदर्श विद्यालय बनाकर अपने गांव को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने में सहयोग करें। शारीरिक प्रदर्शन में सूर्य नमस्कार, समता, योग, पिरामिड, खेल एवं विविध आकर्षक प्रयोग किए गए। इस अवसर पर अखिल भारतीय, प्रांतीय एवं अन्य पदाधिकारी, पूर्ण कालिक कार्यकर्ता, समिति पदाधिकारी, संकुल प्रमुख, प्रधानाचार्य, स्थानीय जन उपस्थित रहे।