खरिका में हुई सुदामा चरित्र और कृष्ण रुक्मिणी विवाह की लीला

आज विशाल भण्डारे के साथ होगा श्रीमद् भागवत कथा का समापन

भिण्ड, 12 मई। अटेर क्षेत्र के ग्राम खरिका में सिद्ध बाबा के पुराने मन्दिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में गुरुवार को अंतिम दिन की कथा में भागवत पं. अलकेश शरण शास्त्री ने भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा का वर्णन किया। जिसमें कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की मनोरम झांकी प्रस्तुत की गई।
इसके बाद भागवताचार्य ने भगवान कृष्ण और सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि निस्वार्थ मित्रता लम्बे समय तक चलती है। एक जगत का पालनहार दूसरा निर्धन ब्राह्मण, एक के पास संसार के सभी सुख, समृद्धि और दूसरे के पास एक समय का भोजन भी नहीं फिर भी मित्रता में एक दूसरे से द्वेष, ईष्र्या या लोभ लालच नहीं। मित्र ने बिना पूछे दूसरे मित्र के कष्ट समझ लिए और पलक झपकते ही जीवन बदल दिया और मित्र को इस नि:स्वार्थ मदद का अहसास भी नहीं होने दिया।
आचार्य पं. अलकेश शरण शास्त्री की मधुर वाणी से कथा का श्रवण करने ग्राम खरिका एवं आसपास के कई गांव के लोग भारी संख्या में पहुंचे। शुक्रवार को हवन पूर्णाहुति के बाद कथा का समापन होगा और इसके उपरांत विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन श्रीमती कमला-रमेश पुरोहित, श्रीमती पूजा-आशीष पुरोहित द्वारा कराया गया।
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