हवन यज्ञ व भण्डारे के साथ हुआ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

भिण्ड, 12 मई। अटेर जनपद के ग्राम खड़ीत में चल रही भागवत कथा बुधवार को संपन्न हो गई। कथा के समापन के बाद गुरुवार को हवन यज्ञ और भण्डारे का आयोजन किया गया। जिसमें भारी संख्या में श्रृद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुतियां दीं और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। भागवत कथा का आयोजन श्यामसुंदर कटारे, अवधेश कटारे एवं परिवार की ओर से श्रीश्री 108 सुंदरदास जी महाराज चित्रकूट धाम के आशीर्वाद से करवाया गया।
कथा व्यास अंतर्राष्ट्रीय कथाकार एवं समाज सुधारक आचार्य मनोज अवस्थी ने सात दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुडऩे और सत्कर्म करने को कहा। उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायु मण्डल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। अवस्थी ने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथा व्यास ने भण्डारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं यह हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है, जो मन बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है।


कथा समापन के दिन गुरुवार को विधिविधान से पूजा करवाई गई एवं दोपहर तक हवन एवं पूर्णाहुति संपन्न हुई, तत्पश्चात विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ, जिसमें भारी संख्या में प्रदेश एवं जिले के जनप्रतिनिधि, पत्रकार, समाजसेवी, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, अधिकारीगण एवं क्षेत्रवासी उपस्थित हुए।