जगत में मनुष्य के चरित्र की प्रशंसा की होती है : पं. दिनेश शास्त्री

सिद्धश्री भुमिया सरकार आश्रम पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

भिण्ड, 28 अप्रैल। मनुष्य को जीवन मे एक दूसरे की सहायता एवं प्रेम भाव से रहना चाहिए मनुष्य को दया का भाव एवं संतों की सेवा करनी चाहिए। मनुष्य भजन करने के लिए जगत में आता है लेकिन मोह माया के जाल में फंस कर मनुष्य दूसरों को कष्ट पहुंचा कर पैसा कमाने के चक्कर में पड़ जाता है। यह उद्गार सिद्धश्री भूमिया सरकार आश्रम मेहगांव में श्रीमद् भागवत कथा के वाचक पं. दिनेश कृष्ण शास्त्री ने प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।


उन्होंने कहा कि दूसरे मनुष्य मे बुराई निकलने मे और अपने आप को बड़ा साबित करने में जीवन का समय निकाल देता है, इसलिए ईश्वर भक्ति के लिए मनुष्य का समय कम रह जाता है। दुनिया के अन्य वैभव कार्यों में समय ज्यादा चला जाता है, गलत तरीके से पैसा कमाने मे लग जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन में हमेशा सद्मार्ग पर चलना चाहिए। सद्गुरू के बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए क्योंकि उसी मार्ग पर चलने से मनुष्य का चरित्र बनता है। क्योंकि जगत में मनुष्य के चित्र की प्रशंसा नहीं होती बल्कि जगत में मनुष्य के चरित्र की प्रशंसा की होती है। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षत महंत भगवतीदास महाराज एवं महंत सत्यवीर महेरे हैं।