डीड़ी खुर्द में ईमानदारी की मिसाल बनी बाल्मीक समाज की महिला

सर्वे भवंतु सुखिन: सामाजिक समिति ने किया मुस्कान बाल्मीक का सम्मान

भिण्ड, 16 मार्च। एक ईमानदार व्यक्ति हमेशा अपनी ईमानदारी के कारण बिल्कुल सूर्य की तरह अपने अन्नत प्रकाश और असीमित ऊर्जा के लिए जाना जाता है। यह वह गुण है, जो व्यक्ति को जीवन में सफल होने और अधिक सम्मान प्राप्त करने में मदद करता है। यह व्यक्ति के नैतिक चरित्र को पहचान देता है। ऐसे ही इमानदारी की मिसाल बनी ग्राम डीड़ी खुर्द में बाल्मिक समाज की महिला।
बीते दिनों लाल सिंह यादव उर्फ लाले की पत्नी बबली यादव अपने मायके से ससुराल लौट रही थी। वह गहने पहने हुए थी, तभी ग्राम के बाहर से गुजरी तो उनका हाथ का तीन तोले सोने का दस्ताना गांव के बाहर जहां बाल्मिक बस्ती है वहां गिर गया, जब बबली यादव अपने ससुराल पहुंची तब उसने गहने उतारे तो देखा कि हाथ में दस्ताना नहीं है। एकदम सन्न रह गईं। यह बात परिवार जनों को बताई, उसके बाद यह बात सुबह तक आस पड़ोस गांव में फैल गई, जैसे ही यह खबर गांव में फैली कि बबली यादव का तीन तोले सोने का दस्ताना कहीं गिर गया है, तो यह खबर मुस्कान बाल्मीक पत्नी संजीव बाल्मीक के घर तक पहुंची तो मुस्कान बाल्मीक स्वत: बबली यादव के घर पहुंची और उन्होंने तीन तोले सोने का दस्ताना वापस कर दिया।
उन्होंने बताया कि यह मुझे शाम के समय रोड पर डाला हुआ मिला था, जैसे ही मुझे खबर लगी तो मैं यह दस्ताना आपको वापस करने चली आई। तभी बबली यादव के पति लालसिंह उर्फ लाले ने मुस्कान बाल्मीक को 1100 रुपए नगद, साड़ी, पेंट -शर्ट इनाम स्वरूप भेंट की। तत्पश्चात यह खबर समाजसेवी युवाओं को लगी तो उन्होंने मुस्कान बाल्मीक को शॉल-श्रीफल, साड़ी देकर सम्मानित किया।
सम्मानित करते समय एडवोकेट आशुतोष शर्मा नंदू ने बताया कि मुस्कान बाल्मीक का सम्मान आवश्यक है, यह संदेश जन-जन तक जाना चाहिए कि हमें गरीब होने के बाद भी अपनी ईमानदारी का परिचय देना चाहिए। मुस्कान बाल्मीक गरीब हैं, झोपड़ी में रहती हैं, उसके बाद भी उसने बिना लालच के तीन तोले सोने का दस्ताना वापस किया। इस अवसर पर जिन्होंने महिला को सम्मानित करने में अहम भूमिका निभाई उनमें कौशल यादव, आकाश शर्मा, अंकित श्रीवास, आशीष श्रीवास, दीपक यादव, विशाल यादव, राजेन्द्री शर्मा, ऊषा यादव, कौशलेन्द्र यादव, मनीष यादव, अजय यादव, राहुल यादव, बलराम उर्फ बल्लू, देव शर्मा उर्फ कृष्णा आदि समाजसेवियों की विशेष भूमिका रही।