भिण्ड, 27 अक्टूबर। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान सीहोर, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विश्व व्यावसायिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर सोमवार को दिशा-कम-विकास केन्द्र भिण्ड में समुदायिक जागरूकता एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में व्यावसायिक चिकित्सा के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाना, दिव्यांगजनों के पुनर्वास एवं स्वतंत्र जीवन कौशल विकास में इसकी भूमिका को रेखांकित करना तथा समुदाय में समावेशन और भागीदारी की भावना को प्रोत्साहित करना था।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान सीहोर के निदेशक डॉ. अखिलेश कुमार शुक्ला के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। जिसका समन्वय पुनर्वास अधिकारी जेपी दिवाकर, मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता कर्णप्रिया एवं व्यावसायिक चिकित्सक साक्षी चौधरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में दिशा-कम-विकास केन्द्र भिण्ड के निदेशक शिवभान सिंह राठौड़ का सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में प्राचार्य सत्येन्द्र सिंह, विशेष शिक्षक राघव सिंह, दिशा-कम-विकास केन्द्र भिन्ड के कर्मचारीगण, अभिभावक तथा स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों ने सक्रिय सहभागिता की।
कार्यक्रम के दौरान व्यावसायिक चिकित्सा के सिद्धांतों, उद्देश्यों तथा विभिन्न दिव्यांग स्थितियों में इसके उपयोग पर विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को बताया कि व्यावसायिक चिकित्सा केवल उपचार नहीं, बल्कि व्यक्ति की कार्यात्मक क्षमता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सहभागिता को बढ़ाने का एक समग्र माध्यम है। सत्र में संवादात्मक चर्चाएं, अनुभव साझा करने की गतिविधियां एवं जागरुकता प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया, जिनसे प्रतिभागियों ने यह समझा कि व्यावसायिक चिकित्सा जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने और समावेशी समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित जनों ने यह संकल्प लिया कि वे व्यावसायिक चिकित्सा के महत्व को समाज में प्रसारित करेंगे और दिव्यांगजनों के अधिकारों, समान अवसरों एवं गरिमा की रक्षा के लिए मिलकर कार्य करेंगे। इस प्रकार यह कार्यक्रम न केवल समुदाय में व्यावसायिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि पुनर्वास एवं समावेश के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक पहल भी सिद्ध हुआ।







