मौजूदा साल में राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य में घडियाल प्रजनन का सफल सीजन

– चंबल क्षेत्र में घडियाल संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय सफलता

ग्वालियर, 20 जून। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य द्वारा घडियालों के संरक्षण में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई है। मौजूदा साल अभयारण्य में घडियाल प्रजनन का सफल सीजन रहा है। विभिन्न नेस्टिंग साइड पर बडी संख्या में मादा घडियालों ने घोंसले बनाए। इन घोंसलों से घडियाल शिशु को सुरक्षित निकालना शुरू हो चुका है। अभी तक चंबल घडियाल अभ्यारण्य क्षेत्र के अंतर्गत नंदी गांव में 46 घोंसले, बरौली में 32, बाबूसिंह घेर में 20, डाग वसई में 16, रैड्डी में 7 और भरा में 5 घोंसलों में से घडियालों के बच्चों को निकाला जा चुका है। इसके अतिरिक्त अन्य स्थलों पर भी घोंसलों से बच्चे निकल रहे हैं। चंबल की सहायक नदी कूनो में भी 12 घोंसलों से बच्चे निकल चुके हैं, जो घडियालों की बढती उपस्थिति और सफल प्रजनन का संकेत है।
निदेशक राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के मार्गदर्शन और फील्ड में कार्यरत वन कर्मियों के अथक प्रयासों से यह सफलता मिली है। घडियाल प्रजनन स्थलों की पहचान, घोंसलों का चिन्हांकन और सुरक्षा की पूरी प्रक्रिया में फ्रंटलाइन स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वन कर्मियों ने घोंसलों को खोजकर उनके ऊपर कांटे लगाकर उन्हें सियार एवं परभक्षियों से सुरक्षित किया तथा हेंचिंग के समय इन कांटों को सावधानी पूर्वक हटाकर बच्चों को सुरक्षित निकालना सुनिश्चित किया।
वन विभाग द्वारा राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य क्षेत्र से 200 घडियाल अण्डों को एकत्र कर उन्हें घडियाल पुनर्वास केन्द्र देवरी भेजा गया। वहां उन्हें विशेष देखरेख में रखा गया। इनमें से 195 अण्डों से सफलतापूर्वक बच्चों का जन्म हुआ है, जिनका पालन-पोषण किया जा रहा है। यह समूचा प्रयास चंबल क्षेत्र में घडियाल संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो वन विभाग के समर्पण, वैज्ञानिक प्रबंधन और स्थाई पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।