भिण्ड, 23 मार्च। औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर से लगे हुए रिठौरा गांव में भागवत कथा में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया। जिसमें अंतिम दिन कथा वाचक श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर रामभूषण दास महाराज खनेता धाम ने कृष्ण और सुदामा की मित्रता एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा का वाचन किया।
उन्होंने कहा कि कृष्ण और सुदामा दोनों ही मथुरा के गुरुकुल में साथ-साथ पढते थे। वे दोनों बहुत ही घनिष्ठ मित्र थे और एक-दूसरे के साथ बहुत ही प्यार और विश्वास से पेश आते थे। सुदामा एक गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे, जबकि कृष्ण एक राजकुमार थे, लेकिन उनकी मित्रता में यह अंतर कभी भी नहीं आया। जब कृष्ण द्वारिका के राजा बन गए तो सुदामा उनके दर्शन करने के लिए द्वारिका गए। कृष्ण ने सुदामा का स्वागत बहुत ही गर्मजोशी से किया और उन्हें अपने महल में रखा। सुदामा ने कृष्ण को एक छोटा सा उपहार दिया, जिसमें कुछ चावल और मेवे थे। कृष्ण ने उस उपहार को बहुत ही प्यार से स्वीकार किया।
इस कथा से यह सीखने को मिलता है कि सच्ची मित्रता में धन, पद और प्रतिष्ठा का कोई महत्व नहीं होता है। सच्चे मित्र एक-दूसरे के साथ हमेशा खडे रहते हैं, चाहे जीवन में कोई भी परिस्थिति क्यों न हो। कृष्ण और सुदामा की बाल लीला एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जो उनकी बचपन की मित्रता और उनके साथ हुई कई रोमांचक घटनाओं को दर्शाती है। कथा वाचक ने माखन चोरी, गोवर्धन पर्वत, कालिया नाग, गुरुकुल की पढाई आदि कथाओं का विस्तार से वर्णन किया। भागवत कथा के पारिक्षत सुनीता अशोक पाराशर, मंजू सतीश पाराशर हैं।