आखिर बंगाल में नानी नहीं तो मां की याद आ ही गई

– राकेश अचल


हमारे देश में कुछ चीजें और रिश्ते ऐसे हैं जो आदमी को गाहे-बगाहे कहीं भी, किसी भी समय और किसी भी उम्र में या तो खुद-ब-खुद याद आ जाते हैं या फिर उन्हें याद दिला दिया जाता है। भारत में चक्रवर्ती सम्राट बनने का ख्वाब देखने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को भी बंगाल की सियासत ने नानी की नहीं तो मां की याद जरूर दिला दी।
हमारे यहां लोकमान्यता है कि जब कोई मर्द संकट में होता है तो उसे या तो नानी याद आती है या फिर मां। महिलाएं भी ओ मां ही कहती हैं। पिता या नाना को याद करते बहुत कम लोग देखे गए हैं। हम भूल भी जाएं दो हमारे शुभचिंतक ऐसी चुनौतियां पेश करते हैं कि आदमी को अपनी छठी का दूध याद आ जाता है। ये दूध भी मां की ही होता है और नवजीवन देने वाला माना जाता है। जब कोई किसी को छठी का दूध याद दिलाता है तो माना जाता है कि उसका जीवन खतरे में है और उसे मां के दूध की जरूरत है।
मोदीजी पिछले एक दशक से कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को या तो छठी का दूध याद करा रहे हैं या फिर नानी की याद करा रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि मोदीजी बंगाल में भगवान राम को भूलकर मां भवानी की जय बोलने पर मजबूर हो गए और यहीं तृण मूल कांग्रेस की वाचाल, हाजिर जबाब सांसद महुआ मोइत्रा ने मोदीजी को घेर लिया। तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक रैली को संबोधित करते हुए देवी काली का आह्वान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा प्रहार किया, उन्होंने बंगाली मतदाताओं को लुभाने के उनके प्रयास को ‘थोडा देर से’ कहा, और कहा कि देवी ढोकला नहीं खाती हैं।
आपको बता दें कि गत शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने दुर्गापुर रैली में अपने भाषण की शुरुआत बंगाली भाषा में भीड का अभिवादन करते हुए की और कहा, ‘जय मां काली, जय मां दुर्गा।’ इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए महुआ मोइत्रा ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘बंगाली वोटों के लिए मां काली का आह्वान करने में प्रधानमंत्री मोदी ने थोडी देर कर दी। वह ढोकला नहीं खातीं और कभी नहीं खाएंगी।’
सब जानते हैं कि भाजपा, आरएसएस और मोदीजी एक दशक से बंगाल जीतने के लिए एढी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है। भाजपा नेताओं और संघ कार्यकर्ताओं की एढियां घिस गईं पर नतीजा शून्य ही रहा। ताजा मामला बंगाल रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर तीखा हमला किया था और राज्य सरकार पर राज्य में अराजकता का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया था। मोदी ने बंगाल में निवेशकों के कम विश्वास के लिए ‘दंगों’, ‘गुण्डा टैक्स’ और ‘पुलिस पूर्वाग्रह’ का हवाला दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी दावा किया कि क्रूर आरजीकर बलात्कार और हत्या मामले में ‘टीएमसी ने दोषियों को बचाने की कोशिश की’, जिसने पूरे बंगाल को झकझोर कर रख दिया था। प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया, ‘जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां बंगालियों का सम्मान किया जाता है।’
अब महुआ के तंज का आशय समझ लीजिए, आप जानते हैं कि बंगाल के अधिकांश काली मन्दिरों में पारंपरिक रूप से देवी के भोग या प्रसाद के रूप में मांस और अन्य मांसाहारी चीजें चढाई जाती हैं। लेकिन महुआ ने प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात के नाश्ता को ही एक राजनीतिक रूपक बना दिया। प्रधानमंत्री ने शायद इसकी कल्पना भी नहीं की होगी।
टीएमसी पार्टी के सदस्य ने इस साल की शुरुआत में ढोकला का तंज कसा था, जब एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ लोग दिल्ली के चित्तरंजन पार्क स्थित एक मछली बाजार के दुकानदारों को इसलिए धमका रहे थे, क्योंकि वह काली मन्दिर के बगल में स्थित है। वीडियो शेयर करते हुए मोइत्रा ने दावा किया कि वे लोग भाजपा से जुडे थे। महुआ का विवादों से पुराना नाता है। सन 2022 में महुआ मोइत्रा ने उस समय राजनीतिक तूफान खडा कर दिया था, जब उन्होंने देवी काली को ‘मांस खाने वाली और शराब स्वीकार करने वाली’ देवी बताया था- एक ऐसी टिप्पणी जिससे देशव्यापी आक्रोश फैल गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। कृष्णानगर की सांसद की टिप्पणी की भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना की और उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। बहरहाल अब महुआ फिर सुर्खियों में हैं मोदीजी के साथ-साथ।