सुबह कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का होगा शुभारंभ
भिण्ड, 06 अक्टूबर। शारदीय नवरात्रि देवी मां की उपासना का महापर्व है। हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व दिया गया है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सात अक्टूबर गुरुवार यानि कि आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। इस साल दो तिथियां एक साथ पडऩे की वजह से नवरात्रि आठ दिन के हैं।
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को पड़वा के रोज पहले दिन मां शैल पुत्री के पूजन के साथ होगी। इसके पूर्व विधि-विधान से कलश स्थापना की जाएगी। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषाचार्य पं. कौशलेन्द्र मिश्रा ने बताया कि कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6.17 बजे से 7.07 बजे तक है। इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करना फलदायी रहेगा।
कलश स्थापना की सामग्री
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामिग्री को पहले से ही एकत्रित कर लेना चाहिए। इसके लिए आपको सात तरह के अनाज, चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, कलावा, मौली, चावल, पान के पत्ते, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, जौ, लाल बस्त्र और पुष्प की जरूरत पड़ती है।
ऐसे करें कलश स्थापना
सुबह स्नान करके मां दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापन करें। कलश के ऊपर रोली से ओम और स्वास्तिक लिखें। कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें। संभव हो तो नदी की रेत रखें, फिर जौ भी डालें। इसके उपरांत कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि चढ़ाएं। फिर ओम भूम्यै नम: कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें। अब कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए ओम वरुणाय नम: कहें और जल से भर दें। इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें। तत्पश्चात जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें।
कलश स्थापना के बाद लें संकल्प
हाथ में हल्दी, अक्षत, पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें। इसके बाद ओम दीपो ज्योति: परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दन:! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते, मंत्र का जाप करते हुए दीप पूजन करें। कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैल पुत्री की पूजा करें।