दंदरौआ धाम में नक्षत्र वाटिका पुस्तक का संतश्री ने किया विमोचन
भिण्ड, 02 सितम्बर। डॉक्टर हनुमान वाणी के संपादक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा लिखित पेड़ों का ज्योतिषीय धार्मिक एवं औषधीय वैज्ञानिक महत्व की जानकारी एवं 12 राशियों के 28 नक्षत्रों के पेड़, उनके स्वामी ग्रह और उनके देव एवं दिशा, नवग्रह का पेड़ आदि से संबंधित समग्र जानकारी से परिपूर्ण पुस्तक नक्षत्र वाटिका का विमोचन दंदरौआ धाम में धाम के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर संत रामदास महाराज द्वारा किया गया। इस अवसर पर पुस्तक के लेखक कुलदीप सेंगर, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती किरण सेंगर, ओमप्रकाश शर्मा, पं. दुबे श्यामविहारी श्याम, पं. पवन शर्मा एवं दंदरौआ धाम के वैदिक आचार्य आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर महामण्डलेश्व महंत श्री रामदास जी महराज ने कहा कि आधुनिक भौतिक भोग-विलास के जीवन ने इस धरती का पर्यावरण संतुलन बिगाड़ दिया है, खनन संसाधनों की अतिशय चाहत, शहरों का अनियंत्रित विस्तार, रासायनिक खाद के प्रयोग की खेती और सड़कों का फोरलेन, सिक्सलेन निर्माण, नदियों में बांधों के निर्माण, रेत का खनन और उद्योगों की स्थापना आदि से जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई है, वायुमंडल में कार्बन की मात्रा बढ़ गई है और प्रणवायु (ऑक्सीजन) की मात्रा कम हो गई है। इससे वायुमण्डल का तापमान सतत बढ़ रहा है, बरसात असंतुलित हो रही है। कहीं सूखा तो कहीं बाढ़, कहीं बादल फटने से तबाही तो कहीं समुद्री तूफान से करोड़ों लोगों, जीव जंतुओं का जीवन प्रभावित होता है। इस लिए आज के समय मे धरती को फिर से हरा-भरा करने के लिए वाटिकावों का निर्माण बहुत जरूरी है।अगस्त माह में दंदरौआ धाम में भी वाटिका की स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा कि एक नक्षत्र वाटिका कल्प वृक्ष के समान होती है, वेदों, पुराणों में पेड़ों को संतानों से अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं, कदम्ब के पेड़ को तो उन्होंने गौचारण के समय अपनी लीला का केन्द्र बनाया था, आज भी मथुरा, वृन्दावन में उनका श्रंृगार कदम्ब के पुष्पों से होता है। उन्होंने कहा कि हमारे सनातन धर्म मे जहां आंवला एकादसी का विशेष महत्व है, वहीं दशहरे में शमी के वृक्ष की पूजा का विधान है, वट वृक्ष की महिमा अनंत है, भगवान बुद्ध को भी ज्ञान एक वृक्ष के नीचे ही प्राप्त हुआ था।
रुद्राक्ष तो स्वयं भगवान शिव के अश्रुओं से जन्मा है, इसमें नवग्रहों का वास है, एकमुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं। अपने जीवन मे ग्रहों की पीड़ा से अनेक ब्याधियों से तंग व्यक्ति अपनी पीड़ा को अपनी राशि, नक्षत्र के अनुसार वृक्षों का रोपण एवं उनके पालन पोषण से अपने दुखों से निजात पा सकता है। अनेकों पेड़ तो भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ जैसे हैं, इनके पत्ते, फूल, फल, छाल जहां औषधीय प्रयोग में आती है, वहीं इनके फल के व्यापार से लाखों लोगों की रोजी रोटी चलती है। पर्यावरण असंतुलन के ऐसे काल मे नक्षत्र वाटिका पुस्तक के लेखन के लिए संतश्री ने कुलदीप सिंह सेंगर को बधाई देते हुए पुस्तक के प्रकाशन के लिए स्वदेशी समाजसेवा समिति, फिरोजाबाद के सचिव रुद्राक्ष मैन, विवेक यादव को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे प्रकृति को हरा भरा करने के लिए वे सभी कार्य कर रहे हैं, जिससे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा हो।