रेशम की डोर का मजबूत रिश्ता है रक्षा बंधन
भिण्ड, 21 अगस्त। रक्षा बंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व आज 22 अगस्त रविवार को है। रक्षाबंधन का त्योहार बहन और भाई के आपसी प्रेम और स्नेह का त्योहार है। इस पर्व में बहनें अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधती है। रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के समय भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल में विशेष ध्यान दिया जाता है। मान्यता है कि भद्राकाल में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने पर उसमें सफलता नहीं मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। भद्राकाल में राखी बाधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है। इसके अलावा भद्राकाल में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं इस कारण से भी भद्रा में शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। भद्रा शनिदेव की तरह उग्र स्वभाव की हैं। भद्रा को ब्रह्माजी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में करने का विधान है। इस कारण से इस बार तीन अगस्त को भद्रा का विशेष ध्यान रखें और भद्रा की समाप्ति के बाद ही राखी बांधे। भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।
रेशम की डोर का मजबूत रिश्ता
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूत कर देता है। राखी यूं तो कहने को रेशम की कच्ची डोर होती है लेकिन यह भाई बहन के मजबूत रिश्ते की निशानी होती है। इस डोर से भाई अपनी बहन के प्रति वचनबद्ध होता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। लेकिन उपहार देते समय ध्यान रखना चाहिए कि हम कैसा उपहार दे रहें हैं कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिन्हें उपहार में देना सही नहीं रहता है।
रक्षाबंधन पर बन रहा है यह महा संयोग
साल 2021 का रक्षाबंधन चार विशिष्ट योगों से परिपूर्ण है। यह महायोग पूरे 50 साल बाद बन रहा है। 50 साल बाद रक्षा बंधन के पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि, कल्याणक, महामंगल और प्रीति योग एक साथ बन रहें हैं। इसके पहले यह संयोग 1981 में एक साथ बने थे। इन चारों महा योगों से इस साल के रक्षाबंधन का महात्म्य बहुत अधिक बढ़ गया है. इस अद्भुत योग के मध्य भाई और बहन के लिए रक्षा बंधन की रस्म अति विशेष कल्याणकारी होगी।
राखी बांधने का सबसे उत्तम मुहूर्त
22 अगस्त रविवार को दोपहर एक बजकर 42 मिनट दोपहर से शाम चार बजकर 18 मिनट तक, राखी बांधना सबसे शुभ रहेगा।
राखी बंधने से पहले करें ये काम
इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा। बहनें सूर्योदय के बाद कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं, लेकिन इससे पहले बहनों को चहिए कि वे राखी को भगवान को अर्पित करें। हिन्दू धर्म शास्त्र के मुताबिक सबसे पहले देवताओं को राखी बांधकर उनको भोग लगाना चाहिए। तत्पश्चात भाइयों को राखी बांधें। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और बहनों को मनवांछित वरदान देते हैं। भाइयों का घर धन-दौलत से भर देते हैं। सबसे पहले राखी भगवान श्री गणेश को बांधना चाहिए। उसके बाद एनी देवताओं को जैसे भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान श्रीकृष्ण, भगवान श्रीराम, भगवान हनुमान और अपने ईष्ट देव को राखी अर्पित करें के बाद ही भाइयों को राखी बांधें।
यह भी है मान्यता
इस संदर्भ में मान्यता है कि शिशुपाल वध के समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई थी। द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़ कर चीर उनकी अंगुली में बांध ली। इस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। श्रीकृष्ण भगवान ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था। रक्षाबंधन की पावनता से यमलोक भी अछूता नहीं है। इस दिन मृत्यु के देवता यम को उनकी बहन यमुना ने राखी बांधी और अमर होने का वरदान मांगा। यम ने इस पर्व के विषय में कहा कि जो भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा, वह लम्बी उम्र जिएगा और उसे कष्टों से छुटकारा मिलेगा।