कथा गोष्ठी में पारंपरिक त्योहारों पर चलाई कलम

ग्वालियर, 21 अगस्त। मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा की इंगित कथा गोष्ठी शनिवार को आभासीय पटल व्हाट्सएप पर की गई। पारंपरिक त्योहार पर अपने- अपने भावों को कथा, कहानीं में पिरोकर साहित्यकारों ने आडियो के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती की वंदना रजिया बेगम के मधुर कंठ से हुआ। सुव्यवस्थित संचालन सीता पवन चौहान ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुबोध चतुर्वेदी ने की, मुख्य अतिथि की आसंदी पर डॉ. वंदना सेन एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में भोपाल से लघु कहानी की मर्मज्ञ मधुलिका सक्सेना उपस्थित हुईं। आपने लघु कथा और कहानी के मध्य सूक्ष्म बारीकियों को बताया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि कथा और कहानीं मानव मन की कुंठा चिंता को चित्रित करती हैं आज कहानी की शैली बदल गई हैं। इस कार्यक्रम में पटल पर जो प्रस्तुतियां दी गईं उन कहानियों की समीक्षा समीक्षकद्वय वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आशा वर्मा एवं प्रेम नारायण सिंह ने की। कार्यक्रम का संयोजन एवं आभार डॉ. ज्योत्सना सिंह ने किया। प्रथम प्रस्तुति डॉ. करुणा सक्सेना ने शीर्षक- शरणार्थी एवं दूसरी कहानी राज किशोर वाजपेयी ‘अभयÓ ने ‘गलत कौनÓ में बहू को भूल का कम शब्दों में अहसास कराया, प्रो. मीना श्रीवास्तव कम्प्यूटर और नौनिहाल में आर्थिक स्थिति खराब में की सहायता सदैव भावविभोर कर देती है।
सुनीता अरूण माथुर शिवपुरी ने कौन कहता है भगवान् आते नहीं। ईश्वरीय शक्ति और श्रृद्धा का अनूठा चित्रण सुबोध चतुर्वेदी पापा मेरा कुसूर क्या है बहुत मार्मिक चित्रण। शिमला शर्मा की लक्ष्मीप्रिया क्षमायाचना, डॉ. अर्चना कंसल की अधूरी सी जिंदगी, डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी ग्वालियर बदलते प्रतिमान, पुष्पा मिश्रा आनंद ने सहनशक्ति, संगीता गुप्ता ‘वैदेहीÓ, डॉ. ज्योति उपाध्याय ‘रक्षा बंधनÓ, आरती आचार्य ने वो यादें, डॉ. आशा श्रीवास्तव ने अपनों की उपेक्षा, श्रीमती प्रभा खरे एडवोकेट की ‘सासू माँÓ, सरिता श्रीवास्तव धौलपुर (राजस्थान) से लॉकडाउन का दर्द। रामलाल साहू ‘बेकसÓ ने ग्वालियर नेकी का फल। रचना पटवर्धन ने बेटी की स्वतंत्रता और हिचकिचाहट, प्रेमनारायण सिंह की कहानी घर, संसद। डॉ. ज्योत्सना सिंह की Óलौटा बीता कलÓ(लघुकथा) सुषमा खरे जबलपुर की कहानीं भूमि सुता। और अंत में कार्यक्रम संरक्षक मध्य भारत हिंदी साहित्य सभा का बहुत आभार नवीन और वरिष्ठ दोनों साहित्यकारों को बराबर अवसर प्रदान करती है सभी कहानी श्रोताओं की उपस्थिति सराहनीय रही।