नाबालिग फुफेरी बहिन के साथ दुष्कर्म कर उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

ग्वालियर, 20 दिसम्बर। अनन्यत: विशेष न्यायाधीश, (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) एवं त्रयोदशम अपर सत्र न्यायाधीश जिला ग्वालियर श्रीमती आरती शर्मा के न्यायालय ने विचाराधीन प्रकरण अंतर्गत धारा 305, 376(2)(एफ)(एन) भादंवि में अपनी फुफेरी बहिन के साथ दुष्कर्म कर उसे आत्म हत्या के उकसाने वाले आरोपी को 10 वर्ष कारावास एवं 20 हजार रुपए जुर्माना की सजा से दण्डित किया है।
अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक अनिल कुमार मिश्रा (एडीशनल डीपीओ ग्वालियर) एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती प्रसन्न यादव ने घटना के बारे में बताया कि फरियादी (अभियोक्त्री के चचेरे भाई) ने पुलिस थाना थाटीपुर में उपस्थित होकर सूचना दी कि एक अप्रैल 2019 के दोपहर सुबह 11 बजे अभियोक्त्री के भाई ने फोन पर बताया कि अभियोक्त्री ने घर के कमरे में पंखे से दुपट्टे से फांसी लगा ली है, जिसे मामा की मदद से फांसी के फंदे से उतारकर सरकारी अस्पताल थाटीपुर ले आए थे, जहां डॉक्टर ने परीक्षण कर मृत घोषित कर दिया है, अब अभियोक्त्री को घर ले जा रहे हैं। फरियादी द्वारा की गई रिपोर्ट के आधार पर पुलिस थाना थाटीपुर पर मर्ग क्र.11/19 दर्ज कर मर्ग जांच प्रमोद शर्मा द्वारा प्रारंभ की गई। जांच के दौरान अभियोक्त्री के कमरे से तीन सुसाइड नोट तथा हस्तलिपि मिलान हेतु दो कॉपी एवं दुपट्टा जब्त कर अभियोक्त्री के माता-पिता सहित अन्य लोगों के कथन लेखबद्ध किए, अभियोक्त्री का शव परीक्षण करवाया जाकर प्राप्त विसरा, कपड़े, स्लाइड इत्यादि को जब्त किया गया। मर्ग जांच के आधार पर यह पाया गया कि जब अभियोक्त्री कक्षा सातवीं में थी, तभी से अभियुक्त उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता था और अभियोक्त्री का लगातार शोषण कर रहा था, इसी बात से तंग आकर अभियोक्त्री ने आत्महत्या कारित की थी। मर्ग जांच के आधार पर आरक्षी केन्द्र थाटीपुर के अपराध क्र.171/2019 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षीगण के कथन लेखबद्ध कर अभियोक्त्री के विद्यालय से उत्तरपुस्तिका व जन्म संबंधी दस्तावेज प्राप्त कर संकलित प्रदर्शों को क्षेत्रीय एवं राज्य न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला तथा दस्तावेज राज्य प्रश्नापद प्रलेख प्रयोगशाला प्रेषित किए गए, नक्शा मौका बनाया जाकर अभियुक्त को गिरफ्तार कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को सजा सुनाई है।