नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

न्यायालय ने आरोपी पर कुल 25 हजार का अर्थदण्ड भी लगाया

सतना, 28 सितम्बर। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट जिला सतना श्रीमती शिल्पा तिवारी के न्यायालय ने नाबालिग लड़के से दुष्कर्म के आरोपी रामकरण पुत्र पुरुषेात्तम बागरी उम्र 49 वर्ष निवासी ग्राम वसुधा, थाना नागौद, जिला सतना को धारा 450 भादंसं में सात वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(2) (आई) भादंसं में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(2)(एन) भादंसं में 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 506 भादंसं में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 5(एम) सहपठित धारा 6 पाक्सो एक्ट में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में राज्य की ओर से अभियोजन संचालन जिला अभियोजन अधिकारी सतना श्रीमती ज्योति जैन ने किया।
अभियोजन प्रवक्ता/एडीपीओ सतना हरिकृष्ण त्रिपाठी ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि छह मार्च 2017 को अभियोक्त्री के माता-पिता सुबह उसके मामा के घर बरहो के निमंत्रण में चले गए थे, वह घर में अकेली थी। तभी लगभग शाम चार बजे आरोपी रामकरण बागरी उसके घर आया और उसके मम्मी-पापा के बारे में पूछा तथा बाहर रखी चारपाई पर बैठ गया। उसके बाद अभियोक्त्री अपने कमरे के अंदर जाकर कंघी करने लगी। तभी रामकरण बागरी कमरे के अंदर आ गया और कमर में हाथ लगाकर उसे पीछे से पकड़ लिया और बिस्तर में पटक दिया। जब वह चिल्लाने लगी तो आरोपी अपने हाथ से अभियोक्त्री का मुंह दबा लिया और उसके साथ गलत काम किया। तब अभियोक्त्री रोने लगी और कहा कि मैं सबको बता दूंगी। तो रामकरण बोला कि अगर किसी को बताया तो वह उसे जान से खत्म कर देगा और वहां से चला गया। जब शाम को छह बजे उसके माता-पिता घर आए तो उनसे डर के कारण कुछ नहीं बताया। इस घटना के डेढ़ माह पूर्व भी रामकरण ने अभियोक्त्री के साथ दो बार गलत काम किया था, किंतु जान से मारने की धमकी देता था, इसलिए वह डर के कारण अपने माता-पिता को नहीं बताती थी। 17 मार्च 2017 को रामकरण अभियोक्त्री को इशारे करके अपने घर बुला रहा था, तब सारी बात उसने अपनी मां को बताई और उसके बाद अपने माता-पिता के साथ रिपोर्ट करने थाने गई थी। रिपोर्ट पंजीबद्ध होनेके पश्चात विधिवत विवेचना की जाकर आरोपी रामकरण बागरी के विरुद्ध अभियोग पत्र विचारण हेतु न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा मामले में कुल 10 गवाह परीक्षित कराए गए तथा अभियोजन कहानी के समर्थन में 19 दस्तावेज एवं एक आर्टिकल प्रदर्शित कराए गए। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत गवाहों एवं दस्तावेजों के आधार पर मामला प्रमाणित पाए जाने पर न्यायालय ने उक्त दण्डादेश पारित किया है।