– सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़े बने एक-दूजे के हमसफर, समाजसेवियों ने कराया विवाह
– उपहार में दिए जेवर और कपड़े, विधायक ने दिया आशीर्वाद
भिण्ड, 01 नवम्बर। समाजसेवी संगठन भिण्ड बांके बिहारी सेवा समिति द्वारा शनिवार को शहर के संस्कृति मैरिज गार्डन बाईपास रोड पर सामूहिक विवाह सम्मेलन का शनिवार को आयोजन किया। दोपहर 11 बजे जेल रोड से 11 बग्घी पर बैठकर एक साथ बैण्डबाजों और डीजे की धुनों एक साथ बाजार में दूल्हों की बारात निकली। बारात माधौगंज हाट, गोल मार्केट, सदर बाजार, इटावा रोड, बायपास रोड से होते हुए संस्कृति मैरिज गार्डन विवाह स्थल पर पहुंची। वहीं विवाह सम्मेलन में भिण्ड विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने सभी जोड़ो को आशीर्वाद दिया।
समिति के अध्यक्ष राहुल शर्मा ने बताया कि सम्मेलन में वर-वधु को गृहस्थी का सामान सहित अन्य उपहार दिए गए। सम्मेलन में तोमर ने कहा कि इस तरह के आयोजनों ने समाज को नई राह मिलती है, साथ ही ऐसे लोग जो बेटी की शादी का खर्चा नहीं उठा सकते हैं उन्हें मदद मिलती है।
यह जोड़े एक-दूसरे के बने हमसफर
सम्मेलन में नांदिनी कुशवाह संग विशाल, वर्षा संग राहुल कुशवाह, राधा प्रजापति संग नरेश प्रजापति, शिवानी प्रजापति संग जितेन्द्र, शिवानी संग सनोज, रोशनी संग अजय शाक्यू, निशा सोनी संग चिंद्राक्ष सोनी, सोनम संग कृष्णास, रॉक्सी संग नंदकिशोर, नेहा कुशवाह संग धर्मवीर, गुन्नोत संग चन्द्रेश ने फेरे लिए।
गरीब कन्या को समाजसेवियों ने शादी में यह दिए उपहार
भिण्ड बांके बिहारी सेवा समिति द्वारा शनिवार को संस्कृति मैरिज गार्डन में सामूहिक विवाह सम्मसलेन का आयोजन किया। जिसमें गरीब कन्योंत को शादी में कई समाजसेवियों ने उपहार स्वरूप सामान भेंट किए है। जिसमें अलमारी, कूलर, एलईडी टीबी, ड्रेसिंग टेबल, पलंग, ट्रॉली बैग, प्रेस, कुकर, गर्म, शॉल, बर्तन, गैस चूल्हा, किचन सेट, रजाई, गद्दा, साड़ी, सफारी शूट के अलावा एक जोड़ी सोने का मंगलसूत्र, एक जोड़ी बेसर, एक जोड़ी कान के बाला, एक जोड़ी तोडिय़ा और बिछिया के अलावा अन्यी समाजसेवियों ने शादी में उपहार दिए है।
बेटी है तो हमारा कल भी है
सामूहिक विवाह सम्मेलन के दौरान विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने कहा कि कई साल पहले हुई जनगणना से लिंग-अनुपात की बिगड़ती प्रवृत्ति को देखते हुए, कई राज्यों ने बेटियों के हित के लिये योजनाएं शुरू की। जैसे कि मप्र में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना एवं लाड़ली लक्ष्मी योजना, भारत सरकार द्वारा धन लक्ष्मी योजना की शुरुआत की गई। ऐसी और भी योजनाएं अन्य राज्यों में चलाई जा रही है। बेशक आज बेटियों के हित में अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन भारतीय परिवेश में बेटियों के प्रति विपरीत सामाजिक मनोवृत्तियों ने बच्चियों के लिए असुरक्षित और असुविधाजनक माहौल का ही निर्माण किया है। योजनाएं तो बन जाती हैं। लेकिन उनका क्रियान्वयन जागरूकता के अभाव में सिर्फ कागजी पन्नों में ही सिमट कर रह जाता है। बेटियों का अस्तित्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, सुरक्षा और कल्याण, समाज में व्याप्त रुढ़ीवादिता और संकीर्ण सोच की बली चढ़ जाता है। अगर बेटियां नहीं होंगी तो विवाह जैसे पवित्र संस्कार कैसे आगे बढ़ेंगे। इसलिए मेरा कहना है कि बेटी है तो हमारा कल है।







