– राकेश अचल
दुनिया के प्रमुख बौद्ध धर्मावलंबी देश थाइलैण्ड और कंबोडिया के बीच जंग की खबरों से मैं हतप्रभ हूं और ये जानने में लगा हूं कि मजहब और संप्रभुता में महत्वपूर्ण मजहब है या जंग? उत्तर मिलता है संप्रभुता मजहब से बडी चीज है। यदि आप संप्रभु नहीं हैं तो भी समानधर्मी होने का कोई मोल नहीं है। थाईलैण्ड और कंबोडिया के बीच तनाव चरम पर हैं। अब थाईलैण्ड ने कंबोडिया पर एफ-16 फाइटर जेट के जरिए बमबारी की है। रॉयटर्स ने थाईलैण्ड आर्मी के हवाले से बताया कि थाईलैण्ड-कंबोडिया की सीमा पर थाईलैण्ड द्वारा तैनात किए गए छह एफ-16 फायटर जेट्स में से एक ने गुरुवार को कंबोडिया पर बम गिराए और एक मिलिट्री टारगेट को नष्ट कर दिया।
संयोग से मैं अपनी यायावरी प्रवृति के चलते थाईलैण्ड भी गया हूं और कंबोडिया भी। दोनों देशों में बुद्ध विराजमान हैं, लेकिन एक देश भुखमरी का शिकार है तो एक देश में जिस्मफरोशी, अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। फिर भी दोनों देश अपने-अपने देश की संप्रभुता के लिए जंग से नहीं हिचके।
गुरुवार की सुबह इन दोनों ही बौद्ध देशों ने एक-दूसरे पर हमला करने के आरोप लगाए। थाईलैण्ड आर्मी की डिप्टी स्पोक्स पर्सन ऋचा सुक्सुवानोन ने बताया कि उन्होंने योजना के मुताबिक मिलिट्री टारगेट्स के खिलाफ हवाई ताकत का इस्तेमाल किया है। जबकि कंबोडिया की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि थाईलैण्ड के विमानों ने सडक पर बम गिराए। उन्होंने कहा कि वे कंबोडिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखण्डता के विरुद्ध थाईलैण्ड के लापरवाह और क्रूर सैन्य आक्रमण की कडी निंदा करते हैं।
आपको बता दें कि कंबोडिया की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है, जो मुख्य रूप से कृषि, विनिर्माण (विशेषकर कपडा), पर्यटन और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर निर्भर है। 2023 के आंकडों के आधार पर, कंबोडिया की जीडीपी लगभग 31.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, और यह निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत है।
गरीबी और असमानता : हालांकि गरीबी दर में कमी आई है, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गरीबी और बुनियादी ढांचे की कमी एक चुनौती है। यहां की अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजारों (विशेषकर कपडा निर्यात) और विदेशी निवेश पर बहुत अधिक निर्भर है। भ्रष्टाचार, सीमित कानूनी सुधार और कुशल श्रम की कमी विकास में बाधा डालती है। वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे कृषि और पर्यटन को प्रभावित कर सकते हैं। यहां आज भी लोगों के पास भरपेट अन्न नहीं है। लोग कीडे मकोडों को खाने पर मजबूर हैं, किंतु देश की संप्रभुता पर हमला किसी को बर्दास्त नहीं है।
थाईलैण्ड और कंबोडिया अपनी 817 किमी लंबी बॉर्डर साझा करते हैं। एक शताब्दी से भी अधिक समय से दोनों देश अपनी सीमा पर अचिन्हित क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर संघर्षरत हैं। इस वजह से कई वर्षों से झडपें हो रही हैं और इन झडपों में कम से कम एक दर्जन मौतें हो चुकी हैं। इनमें साल 2011 में एक हफ्ते तक चली आर्टिलरी फायरिंग भी शामिल है। इस साल मई में विवाद तब फिर से बढ गया, जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच फायरिंग हुई और कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई। इस वजह से राजनयिक संकट भी पैदा हो गया। लेकिन भगवान बुद्ध का दर्शन यहां काम नहीं आ रहा।
ताजा स्थिति ये है कि दोनों बौद्ध देशों के बीच तनाव तब और ज्यादा गहरा गया, जब थाईलैण्ड ने कंंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया और कहा कि वो कंबोडिया के राजदूत को वापस भेज देंगे। इससे पहले थाईलैण्ड ने कंबोडिया पर आरोप लगाया कि उसने विवाद वाले इलाके में लैण्ड माइन बिछाई हुई हैं, जिससे एक हफ्ते के भीतर दूसरे थाई सैनिक ने अपने अंंग खो दिए। थाईलैण्ड का कहना है कि कंबोडिया से टकराव में उसके नौ नागरिकों मारे जा चुके हैं। कंबोडिया का कहना है कि जिन लैण्ड माइंस की बात थाईलैण्ड कर रहा है, वो दशकों पर सिविल वार के समय की हैं। हालांकि थाईलैण्ड मानता है कि सीमावर्ती एरिया में ये लैण्ड माइंन हाल में बिछाए गए हैं।
अब आपको बता दें कि थाईलैण्ड में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय में बडा अंतर है। हाल के दशकों में राजनीतिक उथल-पुथल ने निवेश और विकास को प्रभावित किया है। थाईलैण्ड की जनसंख्या तेजी से वृद्ध हो रही है, जिससे श्रम बल और सामाजिक कल्याण पर दबाव बढ रहा है।
हालांकि थाईलैण्ड दुनिया के सबसे बडे चावल निर्यातकों में से एक है। रबर, गन्ना और कैसावा भी महत्वपूर्ण हैं। कृषि में लगभग 30 प्रतिशत कार्यबल है, लेकिन यह जीडीपी में केवल 8-10 प्रतिशत योगदान देता है। थाईलैण्ड ‘एशिया का डेट्रॉयट’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह टोयोटा, होंडा जैसे ब्राण्डों के लिए प्रमुख ऑटोमोबाइल उत्पादन केन्द्र है। पर्यटन थाईलैण्ड की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है, जो जीडीपी में 12-15 प्रतिशत योगदान देता है। बैंकॉक, फुकेत, चियांग माई जैसे पर्यटन स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
ये एक कडवी हकीकत है कि चाहे इस्लामिक देश हों चाहे ईसाइयत को मानने वाले देश। चाहे बौद्ध धर्म को मानने वाले देश हों चाहे हिन्दू धर्म को मानने वाले देश। संप्रभुता पर संकट आते ही एक-दूसरे के दुश्मन हो जाते हैं। मुझे उम्मीद है कि अंकोरवाट में विराजे भगवान विष्णु तथा और कंबोडिया में विराजे भगवान बुद्ध इस युद्ध को लंबा नहीं चलने देंगे। दोनों को बुद्ध की शरण में ही शांति मिलेगी, अन्यथा हथियारों के सौदागर तो दुनिया में कहीं भी शांति चाहते ही कहां हैं।