भिण्ड, 14 नवम्बर। मप्र पर्यटन विभाग ने भिण्ड के पर्यटन को गति देने के लिए भिण्ड में सामाजिक तथा प्रशासनिक क्षेत्र से पर्यटन में रुचि रखने वाले तथा पूर्व में पर्यटन के लिए प्रयत्न करने वाले युवाओं को भोपाल में बुलाकर मप्र प्रशासनिक अकैडमी में पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया। उन्हें भिण्ड जिले के लिए मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग दी गई, जो अब भिण्ड में पर्यटन और पर्यटक से सीधे जुडऩे वाले लोगों को ट्रेनिंग देकर पर्यटन सहयोगी के रूप में कार्य करेंगे।
भिण्ड विभिन्न प्रकार की पर्यटन गतिविधियों का केन्द्र बन सकता है, जिसमें ग्रामीण परिवेश से जुड़े पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, इसके अलावा पुरातात्विक और प्राकृतिक संसाधनों से युक्त अपनी जटिलतम कठिनता के लिए जाना जाने वाला जिला है। यहां पूर्व में बागियों और दस्यु सदस्यों की शरण स्थली भी रही है, जिसके फलस्वरूप इस प्रकार की भौगोलिक संरचना के लिए भी पर्यटन स्थित है, जिससे पर्यटक आकर्षित हो सकते हैं। प्रमुख रूप से अटेर का किला, घडिय़ाल सेंचुरी, नदी के रेत के सुंदर किनारे और बीहड़ की भूलभुलैया, गोहद का किला, आलमपुर की छतरी, गौरी सरोवर पर वाटर स्पोट्र्स के कार्यक्रम चंबल के किनारे साहसिक पर्यटन को विशेष रूप से गति मिल सकती है। आने वाले समय में जब आगरा और भिण्ड से जोडऩे वाला चंबल पुल बनकर तैयार हो जाएगा तब मथुरा वृंदावन से धार्मिक पर्यटन तथा आगरा से सीधे पर्यटक भिण्ड पहुंचने लगेंगे, जिससे भिण्ड के युवाओं को रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण में प्रमुख रूप से डॉ. ओपी द्विवेदी, मनो वैज्ञानिक श्रीमती मनीष आनंद, डॉ. छाया आदि ने प्रशिक्षण दिया। इसके अतिरिक्त, सहायक संचालक एसके श्रीवास्तव हर समय उपलब्ध रहे। कार्यक्रम में छह जिलों की भागीदारी थी, जिसमें छतरपुर, होशंगाबाद, सारंग, बुरहानपुर, खरगोन, नरसिंहपुर और भिण्ड प्रमुख रूप से उपस्थित थे। भिण्ड की और से प्रबल श्रीवास्तव, राधेगोपाल यादव, अशोक सिंह तोमर, माधव यादव और गुरुचरण यादव ने भिण्ड का प्रतिनिधित्व किया। आने वाले समय में सभी मास्टर ट्रेनर यहां के और लोगों को ट्रेनिंग देकर पर्यटन से शहर को होने वाले लाभ से परिचित कराएंगे।