– कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं उमडा का सैलाब
भिण्ड, 18 जुलाई। दबोह क्षेत्र के ग्राम मुरावली में आदिशक्ति जगत जननी मां राजेश्वरी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में सिद्ध गुफा नरसिंह सरकार मन्दिर प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा में जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज (चित्रकूट धाम) ने अंतिम दिन की कथा में लंका दहन, राम-रावण युद्ध, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग का वर्णन किया।
कथा व्यास ने बताया कि रामायण हमें जीने का तरीका सिखाती है। रामायण हमें आदर्श, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की संपत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, यह सीख देती है। इस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों के कष्ट दूर करते हुए उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठन शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। इसलिए हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। कथा वाचक द्वारा भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन व राम दरबार की आकर्षक झांकी प्रस्तुति पर पूरा कथा पण्डाल राजा रामचंद्र की जय के जयकारों से गूंज उठा।
कथा वाचक ने कहा कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता है। अंतत अधर्म पर धर्म की जीत होती है। भगवान श्रीराम ने सत्य को स्थापित करने के लिए रावण का वध किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा के माध्यम से व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करना चाहिए। रामकथा भक्त को भगवान से जोडने की कथा है। भगवान की कथा हमें बताती है कि संकट में भी सत्य से विमुख न हो व अपने वचन का पालन करें। उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा, गुरु जन का सम्मान, गौ माता का वास तथा ईश्वर का स्मरण जिस घर परिवार में होता है वह स्वर्ग के समान है। कथा के अंतिम दिवस श्रोताओं की काफी संख्या देखने को मिली। श्रीराम कथा में पारीक्षत सूरजा देवी-लल्लूसिंह कौरव को बनाया गया है।