भिण्ड, 14 नवम्बर। चिकित्सक का एक ही धर्म पीडि़त मानवता की सेवा करना होता है और इसके लिए चिकित्सक आपातकाल में बिना किसी भेदभाव के मरीज का इलाज करता है। ऐसे में उसके साथ भी जाति, धर्म आदि के आधार पर भी प्रताडऩा की जाएगी तो चिकित्सकों का मनोबल प्रभावित होगा। यह बात डॉ. गुलाब सिंह अध्य्क्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भिण्ड ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही।
ज्ञात रहे कि अशोकनगर जिले की शाढ़ोरा तहसील के स्वास्थ्य केन्द्र पर दो दिन पूर्व इमरजेंसी डयूटी के चिकित्सकों पर भीम आर्मी के लोगों ने दवाब डालकर मेडिकल रिपोर्ट बदलवानी चाही, परंतु चिकित्सकों के मना करने पर उन्होंने चिकित्सकों के साथ मारपीट की। उसके बाद अशोकनगर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन एवं पीडि़त चिकित्सकों ने भीम आर्मी के लोगों के खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने में मुकद्दमा दर्ज कराया। उसके बाद भीम आर्मी के लोगों ने भी चिकित्सकों पर मारपीट का तथा एससी एसटी एक्ट का झूठा मामला भी दर्ज करा दिया। उसके बाद शासन ने पीडि़त दोनों चिकित्सकों डॉ. शिवराज सिंह एवं डॉ. शैलेन्द्र रघुवंशी का स्थानांतरण भी आरोपियों की तहसील के स्वास्थ केन्द्र पर कर दिया। इस प्रकार पीडि़त चिकित्सकों को दोहरी प्रताडऩा दी गई।
डॉ. गुलाब सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि भीम आर्मी द्वारा ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के साथ मारपीट करना कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आजकल एससी/ एसटी का दुरुपयोग करते हुए उसे एक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाना एक फैशन बन गया है। इस प्रावधान का मतलब यह नहीं है कि लोग अभद्रता पर उतरे और सेवाकार्य में दिन रात लगे चिकित्सकों के साथ मारपीट करें। मैं डॉ. गुलाब सिंह सभी चिकित्सकों की और से इस तरह के दुव्र्यवहार की और इस मारपीट की पुरजोर भत्र्सना करता हूं और चेतावनी देता हूं कि भविष्य में इस तरह के कृत्य बर्दाश्त नहीं होंगे। स्वास्थ्य सेवा एक आवश्यक सेवा है, यह एक परमार्थ का काम भी है, ऐसे में लोगों की सेवा में तत्पर चिकित्सकों के कार्य में व्यवधान डालने तथा उनके साथ मारपीट करने के बाद इस तरह से एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करना कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मैं आईएमए के सभी जिलो के सदस्यों से निवेदन करता हूं कि इसका पुरजोर विरोध करें और शासन से मांग करता हूं कि पीडि़त चिकित्सकों के खिलाफ रिपोर्ट और एससी/एसटी की जो धाराएं गलत तरीके से लगाई गई हैं और डॉक्टरों का जो स्थानांतरण किया गया उस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए। इस तरह का कृत्य करके प्रशासन गलत लोगों की मदद कर रहा है। पीडि़त चिकित्सकों को न्याय न मिलने की स्थिति में पूरे प्रदेश में चिकित्सक पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ भी आंदोलन को बाध्य होगा जिसके लिए सभी संगठनो के पदाधिकारियों से बातचीत हो रही है।