गांधी का डीएनए भी बदल गया है अब

– राकेश अचल


मैं चूंकि गांधीवादी हूं इसलिए मुझे ये खबर पढकर सदमा लगा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रपौत्री को उस दक्षिण अफ्रीका में धोखाधडी के मामले में दण्डित किया गया है, जिस दक्षिण अफ्रीका को महात्मा गांधी ने सत्याग्रह करना सिखाया और नींद से जगाया था।
खबर है कि महात्मा गांधी की परपोती आशीष लता रामगोबिन को दक्षिण अफ्रीका में 3.22 करोड रुपए की धोखाधडी के मामले में 7 साल की सजा हुई है। उन्होंने नकली दस्तावेजों के जरिए व्यापारी से पैसे लिए। लता, महात्मा गांधी के बेटे मणिलाल की पोती और एला गांधी की बेटी हैं।
लता रामगोबिन पर आरोप था कि उन्होंने व्यापारी एसआर महाराज को यह कहकर 62 लाख रैंड ले लिए कि उन्होंने भारत से लिनन के तीन कंटेनर मंगवाए हैं, जिन पर कस्टम ड्यूटी और अन्य आयात शुल्क चुकाने के लिए पैसे की जरूरत है। बदले में उन्होंने व्यापारी को मुनाफे में हिस्सेदारी का लालच दिया। एसआर महाराज दक्षिण अफ्रीका की एक कंपनी न्यू अफ्रीका अलाइंस फुटबियर डिस्ट्रीब्यूटर के डायरेक्टर हैं। उनकी कंपनी वस्त्र, जूते और लिनन का आयात और निर्माण के साथ ही फाइनेंस भी मुहैया कराती है।
नेशनल प्रॉसिक्यूशन अथॉरिटी के अनुसार, लता रामगोबिन ने व्यापारी को भरोसा दिलाने के लिए फर्जी इनवॉयस, डिलीवरी नोट और नेट केयर अस्पताल समूह की ओर से भुगतान का दावा करने वाले दस्तावेज प्रस्तुत किए। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि तीन कंटेनरों में लिनन अस्पताल के लिए मंगवाया गया है। रामगोबिन ने महाराज से कहा था कि उन्हें बंदरगाह से माल छुडवाने के लिए तत्काल 6.2 मिलियन रैंड की आवश्यकता है। उन्होंने अस्पताल का एक फर्जी परचेज ऑर्डर और इनवॉयस भी दिखाया ताकि भरोसा दिलाया जा सके कि माल डिलीवर हो चुका है और भुगतान जल्द ही होगा।
आशीष लता रामगोबिन महात्मा गांधी की परपोती हैं। उनका संबंध गांधी जी के दूसरे बेटे मणिलाल गांधी से है, जो दक्षिण अफ्रीका में बस गए थे। मणिलाल गांधी की बेटी एला गांधी एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वे करीब 9 साल तक दक्षिण अफ्रीका की सांसद भी रहीं। एला गांधी के चार बच्चों में से एक हैं आशीष लता रामगोबिन। इस तरह आशीष लता, गांधी जी की वंशज हैं और उनका परिवार लंबे समय से दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों से जुडा रहा है।
महाराज ने लता रामगोबिन के पारिवारिक पृष्ठभूमि और गांधी परिवार से उनके संबंधों को देखते हुए उन पर भरोसा किया और पैसे दिए। लेकिन बाद में जब उन्होंने दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि वे सभी नकली थे। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। लता रामगोबिन को पहले 50 हजार रैंड की जमानत पर रिहा किया गया था, लेकिन मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए 7 साल जेल की सजा सुनाई है।
लता रामगोबिन भी एक स्वयंसेवी संगठन इंटर नेशनल सेंटर फॉर नॉन वायलेंस की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक थीं। वे खुद को पर्यावरण, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर काम करने वाली कार्यकर्ता बताती थीं। गौरतलब है कि महात्मा गांधी के कई वंशज आज भी सामाजिक कार्यों में जुटे हैं। लता रामगोबिन की मां एला गांधी भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही देशों में सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता रही हैं। उनके अन्य रिश्तेदारों में कीर्ति मेनन, उमा धुपेलिया-मेस्थ्री और स्व. सतीश धुपेलिया जैसे नाम शामिल हैं, जो मानवाधिकारों के लिए सक्रिय रहे हैं।
यह मामला दिखाता है कि डीएनए स्थिर चीज नहीं है और एक न एक दिन बदल भी सकता है। लता का डीएनए बदला। उनके लिए अहिंसा और सत्याग्रह जैसे सिद्धांत केवल प्रदर्शन के लिए रह गए। लेकिन गांधीवाद का डीएनए अक्षुण्ण है। वह नहीं बदलता। गांधी के बताए रास्ते पर चलने के लिए गांधी का वंशज होना जरूरी नहीं है। महात्मा गांधी को राष्ट्र विभाजन के लिए अपराधी मानने वाले वर्ग के लिए लता ने एक अवसर और दे दिया है, लेकिन इससे गांधी और गांधीवाद पर कोई असर पडने वाला नहीं है, क्योंकि महात्मा गांधी ही सही विश्वगुरू हैं।

17:11