नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कारावास

ग्वालियर, 12 जून। अनन्यत: विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम), एकादशम जिला एवं अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट जिला ग्वालियर तरूण सिंह की अदालत ने नाबालिग अभियोक्त्री के साथ बहला-फुसलाकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी सुमित परिहार उम्र 23 वर्ष निवासी माधवानी वाली गली, करौली माता, महलगांव जिला ग्वालियर को सत्र प्रकरण क्र.212/2024 धारा 328 भादंसं में पांच वर्ष कारावास व 10 हजार रुपए अर्थदण्ड, 5(एल)/6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।
अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक आशीष राठौर ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि 17 वर्षीय पीडिता के घर के पास आरोपी सुमित परिहार निवास करता था। घटना दिनांक से लगभग 2 वर्ष पूर्व 21 अक्टूबर 2022 को आरोपी ने पीडिता को मित्रता करने के लिए बुलाया और फिर उसे नाश्ता कराने के लिए गोविन्दपुरी स्थित द स्काई होटल में ले गया, जहां आरोपी ने उसे कोल्ड ड्रिंक बताकर शराब का सेवन कराया और उसी स्थिती में उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। पीडिता ने आरोपी से कहा कि तुमने मेरे साथ दुष्कर्म किया है, मैं सबको बताऊंगी। तब आरोपी सुमित रोने लगा और उससे माफी मांगकर बोला कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा तो उसने आरोपी की बातों पर भरोसा कर लिया। आरोपी सुमित उसे अक्सर विभिन्न होटल में ले जाने लगा और उसे विवाह का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करने लगा। उसने सुमित को बताया कि वह नाबालिग है तो सुमित उससे कहता था कि मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे विवाह करूंगा। सुमित ने उसके कुछ आपत्तिजनक वीडियो भी बना लिए थे जिसके दम पर वह उसे ब्लैकमेल करता था। पुलिस में शिकायत से 2-3 माह पूर्व सुमित ने उसके साथ आखिरी बार संबंध स्थापित किए थे। पीडिता ने आवेदन थाना विश्वविद्यालय में प्रस्तुत कर उक्त घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई जो अपराध क्र.282/2024 अंतर्गत धारा 376(3), 376(2)(एन) भादंसं एवं धारा 3/4, 5/6 पॉक्सो अधिनियम 2012 के अधीन आरोपी सुमित के विरूद्ध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। संपूर्ण विवेचना समय सीमा में पूर्ण नहीं की गई, जिससे अभियुक्त को डिफॉल्ट बेल का लाभ मिला। उपरांत अभियोग पत्र विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। प्रकरण में पीडिता द्वारा न्यायालय में मुख्य परीक्षण के दौरान अभियोजन के पक्ष में कथन दिए, परंतु आरोपी द्वारा अभियोक्त्री के प्रतिपरीक्षण के पूर्व बहला फुसलाकर विवाह कर लिया और पीडिता को विनओवर कर लिया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दोषसिद्ध किया है।